लद्दाख झड़प: नवजात बेटी का चेहरा भी नहीं देख सका शहीद, कहा था-छुट्टी मिली तब बेटी के देखे आयेम

By भाषा | Published: June 17, 2020 09:49 PM2020-06-17T21:49:00+5:302020-06-17T21:49:00+5:30

चीन को लेकर देश भर में गुस्सा है। 20 जवान शहीद हो गए हैं। झारखंड के रहने वाले कुंदन कुमार ओझा के घर 17 दिन पहले हुई बेटी को देख नहीं पाए। आने का वादा किया था।

Indo-China border Ladakh clash martyr not even see face newborn daughter | लद्दाख झड़प: नवजात बेटी का चेहरा भी नहीं देख सका शहीद, कहा था-छुट्टी मिली तब बेटी के देखे आयेम

ओझा के माता पिता इतने भावुक थे कि बातचीत करने की स्थिति में नहीं थे।

Highlightsझारखंड के साहिबगंज जिले के दिहारी के गांव के रहने वाले ओझा के पिता रवि शंकर ओझा पेशे से किसान हैं।चार भाई बहनों में ओझा दूसरे नंबर पर थे और वह 2011 में दानापुर में सेना में शामिल हुये थे। शहीद के चचेरे भाई प्रभात कुमार ने बताया कि आखिरी बार सात जून को उनकी बातचीत उनकी मां भवानी देवी से हुयी थी।

साहिबगंजः भारत चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद होने वाले कुंदन कुमार ओझा के घर 17 दिन पहले बेटी हुयी थी और उन्होंने अपनी मां से वादा किया था कि जैसे ही उन्हें छुट्टी मिलेगी वह घर आयेंगे।

पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में सोमवार की रात चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद होने वाले 20 सैनिकों में शामिल 28 साल के ओझा के मुख से यह आखिरी शब्द थे जो उनके परिजनों ने सुने थे। झारखंड के साहिबगंज जिले के दिहारी के गांव के रहने वाले ओझा के पिता रवि शंकर ओझा पेशे से किसान हैं।

चार भाई बहनों में ओझा दूसरे नंबर पर थे और वह 2011 में दानापुर में सेना में शामिल हुये थे। देश के सपूत करीब डेढ़ साल पहले विवाह के बंधन में बंधे थे। शहीद के चचेरे भाई प्रभात कुमार ने बताया कि आखिरी बार सात जून को उनकी बातचीत उनकी मां भवानी देवी से हुयी थी।

इसमें उन्होंने भोजपुरी में कहा था, 'अभी त लद्दाख मं बानी, और छुट्टी मिली तब बेटी के देखे आयेम । :अभी तो मैं लद्दाख में हूं और छुट्टी मिलने पर बेटी को देखने आऊंगा।: ओझा के माता पिता इतने भावुक थे कि बातचीत करने की स्थिति में नहीं थे। उनके चचेरे भाई ने रूंधे गले से कहा, 'उन्हें हमेशा से भारतीय सेना में शामिल होने का जुनून था। वह सुबह तीन बजे जग जाते थे और तैयारी संबंधी दैनिक अभ्यास शुरू कर देते थे ।'

भारत-चीन के बीच सीमा विवाद से फिलहाल व्यापार संबंधों पर असर पड़ने की संभावना नहीं: विशेषज्ञ

भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद का फिलहाल द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों ने यह कहा। हालांकि विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अगर स्थिति आगे और बिगड़ती है, तब इसका असर द्विपक्षीय व्यापार रिश्तों पर पड़ सकता है। भारतीय निर्यात संगठनों का महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस के सर्राफ ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि सीमा पर दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव को लेकर द्विपक्षीय व्यापार रिश्तों पर फिलहाल असर पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों की कंपनियों के लिये एक-दूसरे के बाजारों में व्यापक मौके हैं।

लुधियाना के हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र रलहान ने कहा कि भारतीय निर्यातकों के लिये चीन बड़ा बाजार है और बढ़ते व्यापार घाटा को कम करने के लिये पड़ोसी देश को निर्यात बढ़ाने के उपायों पर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन से आयात पर किसी भी तरह की पाबंदी हमारे निर्यात को प्रभावित कर सकता है। लेकिन अगर तनाव बढ़ता है तो निश्चित रूप से इसका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर असर पड़ेगा।’’ कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने भी कहा कि अगरे दोनों देश जल्दी ही मसले का समाधान नहीं कर पाये, तब व्यापार पर असर पड़ सकता हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर स्थिति बिगड़ती है, तब समस्या होगी।

हम बड़ी मात्रा में उन्हें परिधान निर्यात नहीं करते लेकिन हम चीन से काफी कपड़ा आयात करते हैं।’’ जवाहरलाल नेहरू विश्विविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा कि चीन पर किसी प्रकार की व्यापार पाबंदी का असर भारत पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन पर हमारी निर्भरता काफी ज्यादा है। दवाओं में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण रसायन (एपीआई) जैसे कई महत्वपूर्ण उत्पादों के लिये हम चीन पर निर्भर हैं। हमारे पास उन महत्वपूर्ण उत्पादों के लिये कोई विकल्प या बाजार नहीं है और स्थिति एक दिन में नहीं बदलेगी।’’

धर ने कहा कि शुल्क बढ़ोतरी या आयात शुल्क से केवल घरेलू उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अब एक ही समाधान बचा है कि हम महत्वपूर्ण क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को मजबूत करे।’’ सेना ने मंगलवार को कहा कि लद्दाख में सोमवार की रात चीन के साथ झड़प में सेना के कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गये। पांच दशक में पहली बार दोनों देशों की सेना के बीच इस प्रकार की झड़प हुई है। इस गतिरोध के बाद देश के कुछ भागों में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग तेज हुई है। खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट जैसे कुछ उद्योग संगठनों ने सीमा विवाद को देखते हुए चीनी सामान के बहिष्कार का आह्वान किया है। वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-फरवरी के दौरान भारत का निर्यात चीन को 15.54 अरब डॉलर का रहा जबकि आयात 62.38 अरब डॉलर का था।

चीन के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा : जगह-जगह जलाया गया चीनी राष्ट्रपति का पुतला

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच 20 भारतीय जवानों की शहादत को लेकर आम लोगों में खासी नाराजगी है। गोरखपुर-बस्ती मंडल के विभिन्न जिलों में बुधवार को आक्रोशित लोगों ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का पुतला फूंका और चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील की। गोरखपुर में भाजपा, हिंदू युवा वाहिनी, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने चीनी राष्ट्रपति का पुतला फूंका। वहीं समाजवादी छात्र सभा के सदस्यों ने शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

गोरखपुर में भाजपा के मीडिया प्रभारी बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। हम सभी को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए। एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष सुमित कुमार और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष इंजीनियर अभिजीत पाठक ने सरकार से अपील की कि वह चीन को मुंह तोड़ जवाब देते हुए सबक सिखाए। इस काम में कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के साथ खड़ी है। उधर, महराजगंज जिले में हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का पुतला फूंका और चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील की।

वाहिनी की महाराजगंज इकाई के अध्यक्ष नरसिंह पांडे ने कहा कि चीन का भारतीय फौजियों पर जघन्य हमला अत्यंत निंदनीय है और हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करे। उधर, बस्ती में हिंदू युवा वाहिनी और समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने अलग-अलग स्थानों पर चीन के राष्ट्रपति का पुतला फूंका। बस्ती में हिंदू युवा वाहिनी के प्रभारी अजय ने कहा "मैं प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृह मंत्री से आग्रह करता हूं कि वे भारत में चीनी उत्पादन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाएं। चीन को नतमस्तक करने की जरूरत है।

नेपाल भी भारत के खिलाफ जाने की कोशिश कर रहा है और हमें इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाना होगा। इसके अलावा देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर जिलों में भी विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने चीन के राष्ट्रपति का पुतला जलाया जाने और चीनी सैनिकों के हमले में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

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