अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग, सैटेलाइट NVS-01 को पृथ्वी की कक्षा में इसरो ने किया स्थापित, भारत की 'स्वदेशी जीपीएस' NAVIC के लिए बेहद अहम

By भाषा | Published: May 29, 2023 11:52 AM2023-05-29T11:52:12+5:302023-05-29T12:00:40+5:30

इसरो की ओर से नेविगेशन सेटेलाइट एनवीएस-01 को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से जीएसएलवी-एफ12 के जरिए अंतरिक्ष में निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया गया।

India's big leap in space, Satellite NVS-01 installed in orbit, very important for India's 'indigenous GPS' NAVIC service | अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग, सैटेलाइट NVS-01 को पृथ्वी की कक्षा में इसरो ने किया स्थापित, भारत की 'स्वदेशी जीपीएस' NAVIC के लिए बेहद अहम

अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग, सैटेलाइट NVS-01 को पृथ्वी की कक्षा में इसरो ने किया स्थापित, भारत की 'स्वदेशी जीपीएस' NAVIC के लिए बेहद अहम

श्रीहरिकोटा: नौवहन उपग्रह एनवीएस-01 को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) सोमवार को अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। इसरो ने बताया कि जीएसएलवी-एफ12 ने नौवहन उपग्रह एनवीएस-01 को सफलतापूर्वक उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। अंतरिक्ष एजेंसी का लक्ष्य इस प्रक्षेपण के जरिए नाविक (जीपीएस की तरह भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करना है।

नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-01 से क्या होगा फायदा?

चेन्नई से करीब 130 किलोमीटर दूर यहां स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबे रॉकेट को प्रक्षेपित किया गया। यह पूर्व निर्धारित समय पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर साफ आसमान में अपने लक्ष्य की ओर रवाना हुआ।

दूसरी पीढ़ी की इस नौवहन उपग्रह श्रृंखला को अहम प्रक्षेपण माना जा रहा है क्योंकि इससे नाविक सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी और यह उपग्रह भारत तथा मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।

इसरो ने बताया कि नाविक को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि संकेतों की मदद से उपयोगकर्ता की 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनोसेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है। प्रक्षेपण के कुछ मिनट बाद रॉकेट ने 2,232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया।

पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का इस्तेमाल

एनवीएस-01 अपने साथ एल1, एल5 और एस बैंड उपकरण लेकर गया है। पूर्ववर्ती की तुलना में, दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी होगी। इसरो ने कहा कि यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का सोमवार के प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया गया।

अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब, उपग्रह में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी होगी। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है। इसरो ने कहा कि सोमवार का मिशन स्वदेशी क्रायोजनिक चरण के साथ जीएसएलवी की छठी परिचालन उड़ान है।

Web Title: India's big leap in space, Satellite NVS-01 installed in orbit, very important for India's 'indigenous GPS' NAVIC service

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