वसुधैव कुटुंबकम के भारतीय सिद्धांत की वर्तमान विश्व में विशेष प्रासंगिकता है : उपराष्ट्रपति नायडू
By भाषा | Published: January 22, 2021 11:30 PM2021-01-22T23:30:58+5:302021-01-22T23:30:58+5:30
नयी दिल्ली, 22 जनवरी उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि वसुधैव कुटुंबकम के भारतीय सिद्धांत की आज की इस दुनिया में विशेष प्रासंगिकता है जहां कई देश और समुदाय का सामाजिक ताना-बाना घृणा, हिंसा, धर्मांधता, साम्प्रदायिकता और अन्य विभाजनकारी प्रवृत्तियों के कारण टूट रहा है।
नायडू ने कहा कि भारत का वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत मानवता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों से निपटने का रास्ता दिखा सकता है।
यह रेखांकित करते हुए कि भारतीय जीवन शैली में कई सर्वोत्कृष्ट लोकतांत्रिक लोकाचार हैं, नायडू ने कहा, ‘‘हम प्रत्येक व्यक्ति को समान महत्व देते हैं।’’
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘भारतीय सभ्यता के मूल्य मनुष्यों में विविधता को पहचानते हैं और इस विविधता को लेकर कोई पुरानी रंजिश नहीं है क्योंकि हम सभी उसी परमात्मा का हिस्सा हैं।’’
समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की कविताओं का जी. के. ससीधरन द्वारा अंग्रेजी में किए गए अनुवाद ‘नॉट मेनी, बट वन’ का हैदराबाद में ऑनलाइन विमोचन करते हुए नायडू ने उक्त बातें कहीं।
आधुनिक भारत पर श्री नारायण गुरु के प्रभाव को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी, महर्षि, अद्वैत वाद के घोर समर्थक, प्रतिभावान कवि थे।’’
नायडू ने कहा कि अछूतों के साथ होने वाले भेद-भाव को समाप्त करने के लक्ष्य से मंदिर में सभी के प्रवेश के लिए चलाए गए आंदोलन में नारायण गुरु अग्रणी थे।
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