भारतीय रेलः 11.58 लाख कर्मचारी, दिवाली में खुशखबरी, 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस, 7,000 रुपये प्रति महीना तय
By भाषा | Published: October 23, 2020 07:50 PM2020-10-23T19:50:25+5:302020-10-23T19:50:25+5:30
रेलवे के गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को 78 दिन का उत्पादकता आधारित बोनस (पीएलबी) दिये जाने से 2,081.68 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ने का अनुमान है।
नई दिल्लीः रेलवे ने कहा कि उसके करीब 11.58 लाख गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को वित्त वर्ष 2019-20 के लिये 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस देने की मंजूरी दी गयी है।
रेल कर्मचारियों का उत्पादकता आधारित बोनस कुल 2081.68 करोड़ रुपये अनुमानित है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को हुई बैठक में रेल मंत्रालय के 2019-20 के लिये अपने सभी पात्र गैर-राजपत्रित कर्मचारियों (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मचारियों को छोड़कर) को 78 दिन के वेतन के बराबर उत्पादकता आधारित बोनस देने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। रेलवे के गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को 78 दिन का उत्पादकता आधारित बोनस (पीएलबी) दिये जाने से 2,081.68 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ने का अनुमान है।
बोनस के लिये पात्र गैर-राजपत्रित रेल कर्मचारियों के लिये वेतन आकलन सीमा 7,000 रुपये प्रति महीना तय की गई है। रेल मंत्रालय के बयान के अनुसार इसके तहत पात्र रेल कर्मचारी को 78 दिन के लिये अधिकतम 17,951 रुपये बोनस मिलेगा। इस निर्णय से रेलवे के करीब 11.58 लाख गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को लाभ होगा।
रेलवे के उत्पादकता आधारित बोनस में सभी गैर-राजपत्रित कर्मचारी (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मचारियों को छोड़कर) शामिल हैं। रेल कर्मियों को हर साल पीएलबी दुर्गा पूजा/दशहरा से पहले मिलता है। बयान के अनुसार, ‘‘मंत्रिमंडल के निर्णय के तहत... 2019-20 के लिये 78 दिनों का वेतन बोनस के रूप में दिया जाएगा। इससे उम्मीद है कि कर्मचारी रेलवे के प्रदर्शन में सुधार लाने के लिये प्रेरित होंगे।’’ रेलवे ने कहा, ‘‘पात्र रेल कर्मचारियों को पीएलबी हर साल दुर्गा पूजा/दशहरा से पहले मिलता है। इस वर्ष भी मंत्रिमंडल के निर्णय को इस साल के दुर्गा पूजा..दशहरा अवकाश से पहले क्रियान्वित किया जाएगा।’’
उत्तर रेलवे 15 नवम्बर को संसद कैंटीन की बागडोर आईटीडीसी को सौंपेगा
उत्तर रेलवे संसद कैंटीन की बागडोर 15 नवम्बर को आईटीडीसी को सौंप देगा। रेलवे 52 वर्षों से सांसदों को भोजन को उपलब्ध करा रहा है और अब कैंटीन को भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) को सौंपे जाने से यह सिलसिला थम जायेगा। लोकसभा सचिवालय के एक पत्र के माध्यम से उत्तर रेलवे से उस समय तक संसद परिसर से जाने को कहा गया है।
रेलवे 1968 से कैंटीन में भोजन उपलब्ध करा रहा था। पत्र में कहा गया है, ‘‘सक्षम प्राधिकारी चाहता है कि संसद भवन एस्टेट (संसदीय सौंध एवं संसद पुस्तकालय भवन और पीएचई के बाहर गणमान्य व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करने वाली) में खानपान इकाइयों का संचालन आईटीडीसी द्वारा 15 नवम्बर, 2020 तक अपने हाथों में ले लिया जाए।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘उत्तर रेलवे इसी के अनुसार लोकसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराये गये इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कंप्यूटर, प्रिंटर इत्यादि आईटीडीसी को सौंप सकता है और फर्नीचर, उपकरण गैजेट्स आदि आईटीडीसी को सौंपने के लिए सीपीडब्ल्यूडी को दे दें।’’
आईटीडीसी के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें ‘‘भोजन की गुणवत्ता’’ पर विशेष ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है, जो ‘‘आम लोगों के साथ-साथ गणमान्य व्यक्तियों’’ के लिए उपयुक्त होना चाहिए। एक नया विक्रेता खोजने की प्रक्रिया पिछले साल शुरू हुई थी और इस साल जुलाई में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल और आईटीडीसी के अधिकारियों से मुलाकात की थी।