भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती स्थिति में, अब वह आश्वासन भी खत्म हो गया: अभिजीत बनर्जी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 14, 2019 07:34 PM2019-10-14T19:34:27+5:302019-10-14T19:34:27+5:30
अर्थशास्त्र के लिए 2019 का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डगमगाती हुई है। वर्तमान (विकास के) आंकड़ों को देखने के बाद, (निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार) को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है।’’
अर्थशास्त्र के लिए 2019 का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती स्थिति में है। उन्होंने कहा कि इस समय उपलब्ध आंकड़ें यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर आ सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डगमगाती हुई है। वर्तमान (विकास के) आंकड़ों को देखने के बाद, (निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार) को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है।’’ बनर्जी ने अमेरिका से एक समाचार चैनल को बताया, ‘‘पिछले पांच-छह वर्षों में, हमने कम से कम कुछ विकास तो देखा, लेकिन अब वह आश्वासन भी खत्म हो गया है।’’
इस 58 वर्षीय अर्थशास्त्री को उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जीवन में कभी भी नहीं सोचा था कि उन्हें इतनी जल्दी नोबेल पुरस्कार मिल जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछले 20 वर्षों से शोध कर रहा था। हमने गरीबी उन्मूलन के लिए समाधान देने की कोशिश की।’’
अभिजीत बनर्जी के नोबेल जीतने पर मां ने जताई खुशी
नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की मां निर्मला बनर्जी ने सोमवार को कहा कि यह उनके लिए गौरव का क्षण है तथा वह अपने बेटे की उपलब्धि पर बहुत खुश हैं। निर्मला ने कहा कि वह इस बात से भी खुश हैं कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की संयुक्त विजेता उनकी पुत्रवधू एस्थर डुफ्लो हैं।
भारतीय-अमेरिकी बनर्जी, उनकी फ्रांसीसी-अमेरिकी पत्नी डुफ्लो तथा अमेरिका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को सोमवार को संयुक्त रूप से 2019 के लिये अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार विजेता घोषित किया गया। निर्मला बनर्जी स्वयं सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेस में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रही हैं और उनके पति दीपक बनर्जी तत्कालीन प्रेसीडेंसी कॉलेज (विश्वविद्यालय) में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर थे।
Nirmala Banerjee, mother of #AbhijitBanerjee who was awarded #NobelPrize2019 for Economics along with his wife Esther Duflo and USA's Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty”: I am very happy. It's a big glory for the entire family. #Kolkatapic.twitter.com/eodrYDe3kZ
— ANI (@ANI) October 14, 2019
उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं और उनकी उपलब्धियों पर गौरवान्वित हूं। मैंने अभी उनसे बात नहीं की है। मुझे लगता है कि अमेरिका में इस समय रात है तो वह सो रहे होंगे।’’ निर्मला बनर्जी ने कहा, ‘वह हमेशा होनहार और अनुशासित छात्र रहे।’’ अपनी 47 वर्षीय पुत्रवधू के बारे में निर्मला ने कहा, ‘‘वह युवा और होशियार हैं।’’ बनर्जी और उनकी फ्रांसीसी-अमेरिकी पत्नी डुफ्लो प्रतिष्ठित मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में काम करते हैं।
डुफ्लो अर्थशास्त्र का नोबल पाने वाली दूसरी महिला हैं। वहीं वह यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की अर्थशास्त्री भी है। बनर्जी, 58 वर्ष, ने भारत में कलकत्ता विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। एमआईटी की वेबसाइट के अनुसार वर्तमान में वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं।
बनर्जी ने वर्ष 2003 में डुफ्लो और सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) की स्थापना की। वह प्रयोगशाला के निदेशकों में से एक हैं। बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं। डुफ्लो का जन्म 1972 में हुआ। वह जे-पाल की सह-संस्थापक और सह-निदेशक हैं। वह एमआईटी के अर्थशास्त्र विभाग में गरीबी उन्मूलन और विकास अर्थशास्त्र की अब्दुल लतीफ जमील प्रोफेसर हैं।