भारत पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान बनाएगा, 15000 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: April 15, 2023 02:50 PM2023-04-15T14:50:41+5:302023-04-15T14:52:19+5:30
पांचवी पीढ़ी के उन्नत स्टील्थ लड़ाकू विमानों की जरूरत सीमा पर बढ़ते चीनी खतरे को देखते हुए लंबे समय से महसूस की जा रही थी। ये विमान तकनीकी रूप से काफी दक्ष होते हैं और इन्हें रडार से पकड़ पाना लगभग नामुमकिन होता है। एएमसीए के लिए डीआरडीओ प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटा है जिसके बाद इसे सीसीएस के पास भेज दिया जाएगा।
नई दिल्ली: भारत अब पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने जा रहा है। ये परियोजना लंबे समय से रुकी हुई थी। ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि भारत अमेरिका से एयरो-इंडिया में अमेरिका द्वारा दिखाए गए F-35A जेट खरीद सकता है और इसे खुद से विकसित करने का विचार ठंढे बस्ते में डाला जा सकता है।
अब टाइम्स ऑफ इंडिया ने रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया है कि लगभग 15,000 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी, दो इंजन वाले उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए)को विकसित करने का प्रस्ताव जल्द सुरक्षा पर पीएम की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान बनाने परियोजना बेहद महात्वाकाक्षी परियोजना है और इस पर लंबे समय से विचार किया जा रहा था। अब लागत, डिजाइन और स्वदेशी सामग्री के स्तर पर व्यापक अंतर-मंत्रालयी परामर्श अब लगभग पूरा हो गया है। एएमसीए के लिए डीआरडीओ प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटा है जिसके बाद इसे सीसीएस के पास भेज दिया जाएगा।
बेहद महत्वाकांक्षी एएमसीए परियोजना में पांच प्रोटोटाइप का विकास, एक संरचनात्मक परीक्षण नमूना, व्यापक उड़ान परीक्षण और अंतिम 25-टन स्विंग-रोल फाइटर के लिए सुरक्षा पर पीएम की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी से मंजूरी ली जानी है। अनुमानित समयसीमा के अनुसार, पहला एएमसीए प्रोटोटाइप सीसीएस की मंजूरी के चार साल बाद 'रोल आउट' होगा, जिसके बाद उत्पादन छह साल बाद शुरू होगा। इसका मतलब ये है कि अगर सबकुछ सही तरीके और लही समय से हुआ तो भारतीय वायु सेना साल 2035 के आसपास इन लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में शामिल करना शुरु कर देगी।
बता दें कि पांचवी पीढ़ी के उन्नत स्टील्थ लड़ाकू विमानों की जरूरत सीमा पर बढ़ते चीनी खतरे को देखते हुए लंबे समय से महसूस की जा रही थी। ये विमान तकनीकी रूप से काफी दक्ष होते हैं और इन्हें रडार से पकड़ पाना लगभग नामुमकिन है। फिलहाल भारत के पास जो सबसे आधुनिक विमान हैं उनमें राफेल 4.5वीं पीढी का है और सुखोई 30 एमकेआई चौथी पीढ़ी का।
वर्तमान में केवल 5वीं पीढ़ी के परिचालन वाले जेट अमेरिकी एफ/ए-22 रैप्टर और एफ-35 लाइटनिंग-II ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर्स हैं। चीनी का चेंगदू जे-20 और रूसी सुखोई-57 भी कुछ हद तक पांचवी पीढ़ी के विमान ही हैं। अब भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो सकता है। 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तेजस मार्क -2 लड़ाकू विमान विकसित करने की योजना को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।