क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं, भारत ने पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में चीन को दिया कड़ा संदेश
By भाषा | Published: August 3, 2020 11:09 PM2020-08-03T23:09:47+5:302020-08-03T23:09:47+5:30
भारतीय और चीनी सेना के शीर्ष कमांडरों के बीच 2 अगस्त को पांचवें चरण की बातचीत लगभग 11 घंटे तक चली। बातचीत के दौरान भारत ने पैंगोंग सो और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास टकराव वाले सभी स्थानों से चीनी सैनिकों के जल्द से जल्द पूरी तरह पीछे हटने को लेकर जोर डाला।
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने चीनी सेना को पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी और पैंगोंग सो तथा पूर्वी लद्दाख में विवाद के कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने रविवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोल्दो में लगभग 11 घंटे तक वार्ता की। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में चीनी पक्ष को बताया कि दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों के लिए पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में विवाद शुरू होने से पहले की यथास्थिति की बहाली आवश्यक है और बीजिंग को विवाद के बाकी बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया गया कि भारतीय सेना देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी।
पहले की वार्ताओं में भारत ने चीन को क्या-क्या कहा था?
इससे पहले, कोर कमांडर स्तर की पिछली वार्ता 14 जुलाई को हुई थी, जो करीब 15 घंटे तक चली थी। बातचीत में, भारतीय पक्ष ने चीनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) को “बहुत स्पष्ट” संदेश दिया कि पूर्वी लद्दाख में पहले की स्थिति बरकरार रखी जाई और उसे इलाके में शांति बहाल करने के लिए सीमा प्रबंधन के संबंध में उन सभी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जिन पर परस्पर सहमति बनी है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को उसकी सीमा (लक्ष्मण रेखा) से अवगत कराया था और कहा था कि क्षेत्र में पूरी स्थिति में सुधार लाने की जिम्मेदारी मुख्यत: चीन पर है।
वार्ता के बाद, सेना ने कहा कि दोनों पक्ष सैनिकों के “पूरी तरह से पीछे हटने” को लेकर प्रतिबद्ध हैं। साथ ही कहा था कि प्रक्रिया “जटिल” है और इसके “लगातार प्रमाणीकरण” की जरूरत होगी। सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पहले ही पीछे हट चुकी है, लेकिन भारत की मांग के अनुसार पैंगोंग सो में फिंगर इलाकों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।
भारत और चीन के बीच मई से गतिरोध जारी
भारत और चीन के बीत गतिरोध मई 2020 से ही जारी है। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद स्थिति बिगड़ गई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीनी पक्ष के सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन इस बारे में चीन द्वारा अब तक कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया गया है।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के 35 सैनिक हताहत हुए थे। गलवान घाटी की घटना के बाद, सरकार ने सशस्त्र बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किसी भी चीनी दुस्साहस का ‘‘करारा’’ जवाब देने की “पूरी छूट” दे दी। सेना ने झड़पों के बाद सीमा के पास अग्रिम स्थानों पर हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिक भेजे। भारतीय वायु सेना ने भी प्रमुख हवाई सैन्य अड्डों पर वायु रक्षा प्रणालियों और अपने अग्रिम मोर्चे के कई लड़ाकू विमान एवं हमलावर हेलीकॉप्टर भेजे थे।