चीन को भारत की दो टूक, 1959 में एकतरफा परिभाषित LAC कभी स्वीकार नहीं

By अनुराग आनंद | Published: September 29, 2020 06:03 PM2020-09-29T18:03:28+5:302020-09-29T18:05:35+5:30

भारत की तरफ से कहा गया है कि 22 जून की मीटिंग में जो कुछ तय हुआ था उस हिसाब से चीन को पीछे जाना चाहिए।

India never accepts unilaterally defined LAC in 1959, China bluntly | चीन को भारत की दो टूक, 1959 में एकतरफा परिभाषित LAC कभी स्वीकार नहीं

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

Highlightsमंगलवार की मीटिंग में भारत ने कहा कि पीएलए पैंगोंग झील और गलवान घाटी से अपने जवानों को पीछे करे जिससे फिर 15 जून जैसा कुछ न हो।सूत्र का कहना है कि अभी चीन की तरफ से ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा। पीछे हटने की जगह चीन सैनिक बढ़ा रहा है।

नई दिल्ली:  चीन व भारतीय सेना के बीच एलएसी पर अब भी तनाव जारी है। इस बीच भारत सरकार ने चीन को साफ शब्दों में कह दिया है कि 1959 में चीन द्वारा एकतरफा परिभाषित एलएसी हिन्दुस्तान को कभी स्वीकार नहीं है।  

एचटी रिपोर्ट की मानें तो चीनी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के हवाले से लिखे गए एक लेख के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 1959 में चीन द्वारा एलएसी में बदलाव करने व एलएसी को फिर से परिभाषित करने का चीन ने जो एकतरफा प्रयास किया है। भारत ने इस प्रयास को कभी नहीं स्वीकार किया है। 

India-China military commanders

कई समझौतों के आधार पर भारत LAC समस्या का निदान करना चाहते हैं-

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच 1993 में एलएसी के साथ शांति और अनुरक्षण के रखरखाव पर समझौता हुआ। इसके अलावा, 1996 में सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण को लेकर एक समझौते हुआ। इसके बाद 1996 समझौता के कार्यान्वयन व एलएसी पर तैनात जवानों को लेकर प्रोटोकॉल सहित विभिन्न द्विपक्षीय बातचीत के लिए 2005 में दोनों देशों के बीच एक बार फिर से समझौता हुआ। 

भारत का कहना है कि चीन के साथ इन सारे समझौतों के तहत जो पैरामीटर और मार्गदर्शक सिद्धांत पर समझौता, भारत और चीन दोनों ने एलएसी के संरेखण की एक आम समझ तक पहुंचने के लिए एलएसी के स्पष्टीकरण और पुष्टि के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि 'दोनों पक्ष 2003 तक एलएसी को स्पष्ट करने और पुष्टि करने की कवायद में लगे थे, लेकिन यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि चीनी ने इच्छा नहीं दिखाई। इसलिए, अब चीन इस बात पर अड़ा है कि केवल एक एलएसी उनके द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के विपरीत है।

फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के इलाके से पीछे हटे चीन-

लद्दाख में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीनी सेना के बीच बातचीत का दौर जारी है। लेकिन चीन ने अभी तक अपनी पैंतरेबाजी नहीं छोड़ी है। वह मीटिंग में तो बातें मानता है लेकिन जमीनी स्तर पर वैसा कुछ नहीं करता। दूसरी तरफ भारत ने चीन को दो टूक कह दिया है कि उसे 22 जून को तय हुए प्लान के हिसाब से अपने सैनिकों को पीछे लेकर जाना ही होगा। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी मिली है। बैठक में भारत ने फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के क्षेत्र से चीन को तत्काल पीछे हटने को कहा है।

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भारत-चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच मंगलवार को तीसरे दौर की लंबी बातचीत हुई। सूत्रों का कहना है कि भारत की तरफ से गलवान घाटी तथा अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ पैंगोंग में फिंगर 4 से फिंगर आठ तक के इलाके से चीनी सेना को तत्काल पीछे हटने को कहा गया है। इस बीच भारत सरकार ने 59 चीनी ऐप बैन करके उसपर प्रेशर बनाना शुरू कर भी दिया है।

Web Title: India never accepts unilaterally defined LAC in 1959, China bluntly

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