चीन ने किया था पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण! रक्षा मंत्रालय ने स्वीकारा फिर दस्तावेज वेबसाइट से हटाए

By विनीत कुमार | Published: August 6, 2020 02:37 PM2020-08-06T14:37:28+5:302020-08-06T14:41:46+5:30

रक्षा मंत्रालय ने माना है कि 5 मई, 2020 के बाद से एलएसी और विशेष रूप से गालवान घाटी में चीन का अतिक्रमण बढ़ा है। हालांकि, अब इससे जुड़े डॉक्यूमेंट के हटाये जाने पर विवाद शुरू हो गया है।

India china document on chinese intrusions removed from defence Ministry website | चीन ने किया था पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण! रक्षा मंत्रालय ने स्वीकारा फिर दस्तावेज वेबसाइट से हटाए

चीन की घुसपैठ पर रक्षा मंत्रालय ने दस्तावेज अपलोड करके हटाए (फाइल फोटो)

Highlightsरक्षा मंत्रालय ने उस दस्तावेज को अपने वेबसाइट से हटा दिया है, जिसमें चीनी अतिक्रमण की बात कही गई थी इस डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि मई के शुरुआती दिनों से चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण बढ़ाया है

रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड उस डॉक्यूमेंट को हटा दिया जिसमें चीन के पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण की बात मानी गई थी। उस दस्तावेज के अनुसार पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में मई के शुरुआती दिनों में चीन ने घुसपैठ की थी। इसे दो दिन पहले मंगलवार को रक्षा मंत्रालय के वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। हालांकि, अब इसे हटा दिया गया है।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय के What's New सेक्शन में ये डॉक्यूमेंट अपलोड किया गया था। इसमें रक्षा मंत्रालय ने एलएसी पर चीन की आक्रामका तो लेकर कुछ अहम बातें कही थी। इसके अनुसार, '5 मई 2020 के बाद से चीन का आक्रामक रवैया एलएसी के आसपास बढ़ रहा है और खासकर गलवान घाटी में ये ज्यादा है। चीन ने 17-18 मई को कुंगरंग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे के क्षेत्रों में अतिक्रमण किया।'

इसमें ये भी बताया गया था कि स्थिति को ठीक करने के लिए दोनों पक्षों के सशस्त्र बलों के बीच बातचीत हुई। कॉर्प्स कमांडरों की फ्लैग मीटिंग भी 6 जून को हुई थी। 'हालांकि, दोनों पक्षों के बीच 15 जून को हिंसक झड़प हुई जिसमें दोनों पक्षों को नुकसान हुआ।'

इसके बाद, डॉक्यूमेंट में कहा गया है, एक दूसरी कोर कमांडर स्तर की बैठक 22 जून को तनाव को घटाने के तौर-तरीकों पर चर्चा के लिए हुई। इसमें ये भी कहा गया कि चीन की ओर से एकतरफा आक्रामकता से पैदा हुई पूर्वी लद्दाख की स्थिति संवेदनशील बनी हुई है और इस पर नजर रखने सहित त्वरित कार्रवाई की जरूरत है।

गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच मामलों को सुलझाने के लिए लगातार सेना के स्तर पर बातचीत हो रही है। हालांकि भारत ये स्पष्ट करता रहा है कि वो क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। पिछले ही रविवार को दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने चीन की तरफ मोल्दो में लगभग 11 घंटे तक गहन वार्ता की। 

भारत दे चुका है चीन को सख्त संदेश

अधिकारियों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में चीनी पक्ष को बताया कि दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों के लिए पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में विवाद शुरू होने से पहले की यथास्थिति की बहाली आवश्यक है और बीजिंग को विवाद के बाकी बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए। 

उन्होंने बताया कि यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया गया कि भारतीय सेना देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। चीनी सेना गलवान घाटी और कुछ अन्य इलाकों से पीछे हट गई है, लेकिन इसके सैनिक पैंगोंग सो में फिंगर फोर और फिंगर आठ से पीछे नहीं हटे हैं, जिसकी भारत मांग कर रहा है। 

इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं। चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन ने किया, जो दक्षिणी जिनजियांग क्षेत्र के कमांडर हैं। सैन्य वार्ता के इससे पहले के दौर में दोनों ओर के कोर कमांडरों के बीच एलएसी पर भारतीय क्षेत्र में 14 जुलाई को बैठक हुई थी, जो लगभग 15 घंटे तक चली थी।

Web Title: India china document on chinese intrusions removed from defence Ministry website

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