China-India border tension:चीनी सेना ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम में उग्र रुख अपनाया, 1962 में भी इस इलाके को लेकर हुआ था टकराव

By भाषा | Published: May 19, 2020 09:42 PM2020-05-19T21:42:05+5:302020-05-19T21:42:05+5:30

भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ता जा रहा है। चीनी सेना ने गश्त तेज कर दिया है। हालांकि भारतीय सेना भी चौकस है। 1962 में भी इसी इलाके में युद्ध हुआ था

India & China deploy additional troops, fortify more Ladakh areas Chinese troops resort aggressive posturing in Ladakh, North Sikkim | China-India border tension:चीनी सेना ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम में उग्र रुख अपनाया, 1962 में भी इस इलाके को लेकर हुआ था टकराव

दोनों पक्ष के बीच इन इलाकों में कुछ दिनों पहले दो बार हिंसक झड़प हो चुकी है।

Highlightsभारत और चीन दोनों ने डेमचक, दौलत बेग ओल्डी, गलवान नदी तथा लद्दाख में पैंगोंग सो झील के पास संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है।गलवान के आसपास के इलाके दोनों पक्षों के बीच छह दशक से अधिक समय से संघर्ष का कारण बने हुए हैं।

नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच गैर चिह्नित सीमा पर उत्तर सिक्किम और लद्दाख के पास कई इलाकों में तनाव बढ़ता जा रहा है और दोनों पक्ष वहां अतिरिक्त बलों की तैनाती कर रहे हैं।

दोनों पक्ष के बीच इन इलाकों में कुछ दिनों पहले दो बार हिंसक झड़प हो चुकी है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि भारत और चीन दोनों ने डेमचक, दौलत बेग ओल्डी, गलवान नदी तथा लद्दाख में पैंगोंग सो झील के पास संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है।

गलवान के आसपास के इलाके दोनों पक्षों के बीच छह दशक से अधिक समय से संघर्ष का कारण बने हुए हैं। 1962 में भी इस इलाके को लेकर टकराव हुआ था। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों ने गलवान नदी और पैगोंग सो झील के आसपास अपने सैनिकों की तैनाती की है।

इन इलाकों में दोनों पक्षों की ओर से सीमा गश्ती होती है। पता चला है कि चीन ने गलवान घाटी इलाके में काफी संख्या में तंबू गाड़े हैं जिसके बाद भारत वहां कड़ी नजर बनाए हुए है। पैंगोंग सो लेक इलाके में पांच मई को भारत और चीन के करीब 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों, डंडों से लड़ाई हुई और पथराव भी हुआ जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक जख्मी हुए थे। एक अन्य घटना में सिक्किम के नाकू ला दर्रा क्षेत्र में नौ मई को भारत और चीन के करीब 150 सैनिक आमने-सामने हो गए।

सूत्रों के मुताबिक घटना में दोनों पक्ष के करीब दस सैनिक जख्मी हुए थे। दोनों सेनाओं के बीच तनाव पर न तो सेना, न ही विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है। विदेश मंत्रालय ने तनातनी पर पिछले हफ्ते कहा था कि चीन के साथ सीमा पर वह शांति और धैर्य बनाए रखने का पक्षधर है और कहा कि सीमा के बारे में अगर साझा विचार होता तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता था। यह पता चला है कि उत्तर सिक्किम के कई इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों को भेजा गया है।

चीन के सरकारी मीडिया ने सोमवार को खबर दी थी कि अक्साई चिन क्षेत्र की गलवान घाटी में चीन के सैनिकों ने सीमा नियंत्रण उपाय मजबूत किए हैं। सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने सेना के अज्ञात सूत्रों के हवाले से खबर दी, ‘‘गलवान घाटी क्षेत्र में चीनी क्षेत्र में हाल में भारत द्वारा अवैध रक्षा निर्माण’’ के बाद चीन ने यह कदम उठाया है। उत्तराखंड में धारचूला को लिपुलेख दर्रे के साथ जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क पर निर्माण को लेकर नेपाल और भारत के बीच बढ़ते सीमा विवाद के बीच दोनों पक्षों के बीच तनातनी की खबर आई है।

लिपुलेख दर्रा कालापानी के पास स्थित है जो नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमावर्ती क्षेत्र है। भारत और नेपाल दोनों कालापानी पर अपना दावा करते हैं। भारत में सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के बाद उनके नेपाल दौरा करने की परंपरा रही है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि जनरल एम एम नरवणे नेपाल का दौरा जल्द करेंगे या नहीं।

उनसे पहले जनरल बिपिन रावत ने सेना प्रमुख बनने के तीन महीने के भीतर नेपाल का दौरा किया था। चीन ने मंगलवार को कहा कि कालापानी भारत और नेपाल के बीच का मुद्दा है और उम्मीद जताई कि दोनों पड़ोसी ‘‘एकतरफा कार्रवाई’’ करने से बचेंगे और दोस्ताना सलाह-मशविरा से अपने विवादों का उचित समाधान करेंगे। 

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