India VS China: दोनों देश के बीच हुई वार्ता का विदेश मंत्रालय ने दिया ब्योरा, जानें क्या लिया गया फैसला
By गुणातीत ओझा | Published: June 7, 2020 11:01 AM2020-06-07T11:01:19+5:302020-06-07T11:01:19+5:30
पूर्वी लद्दाख में भारत चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास विवाद सुलझता दिख रहा है। भारत और चीन के बीच शनिवार को सैन्य स्तरीय बातचीत सकारात्मक रही।
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव अब कम होता दिख रहा है। दोनों देश विवाद सुलझाने के प्रयास में जुटे हैं। भारत और चीन के बीच शनिवार को सैन्य स्तरीय वार्ता ने विवाद को कम करने में सकारात्मक भूमिका निभाई है। दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों देश शांतिपूर्ण ढंग से समस्या के समाधान के लिए राजी हैं। समस्या को सुलझाने के लिए आगे भी दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ता जारी रहेगी।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच अच्छे माहौल में बातचीत हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'दोनों देश कई द्विपक्षीय समझौतों के तहत सीमा के हालात को शांत करने की कोशिश करेंगे। द्विपक्षीय रिश्तों और बॉर्डर इलाकों के विकास के लिए शांति जरूरी है।'
बताते चलें कि पूर्वी लद्दाख में करीब एक महीने से सीमा पर जारी गतिरोध के समाधान के लिये भारत और चीनी सेना के बीच शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय बातचीत हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिला कमांडर कर रहे थे। यह बातचीत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ माल्डो सीमा कर्मी बैठक स्थल पर हुई।
भारत-चीन सेना के बीच साढ़े 5 घंटे हुई गहन बातचीत
दोनों सेनाओं में स्थानीय कमांडरों के स्तर पर 12 दौर की बातचीत तथा मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत के बाद कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने पर शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर बातचीत हुई। उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता से एक दिन पहले दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर बातचीत हुई और इस दौरान दोनों पक्षों में अपने “मतभेदों” का हल शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये एक-दूसरे की संवेदनाओं और चिंताओं का ध्यान रखते हुए निकालने पर सहमति बनी थी।
चीनी सेना ने पैंगोंग सो और गलवान घाटी में करीब 2,500 सैनिकों को किया तैनात
माना जा रहा है कि चीनी सेना ने पैंगोंग सो और गलवान घाटी में करीब 2,500 सैनिकों की तैनाती की है और इसके अलावा वह धीरे-धीरे वहां अपने अस्थायी ढांचों और हथियारों को भी बढ़ा रहा है। सूत्रों ने कहा कि उपग्रह से ली गई तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के अपनी तरफ के क्षेत्र में सैन्य आधारभूत ढांचे में महत्वपूर्ण रूप से इजाफा किया है जिसमें पैंगोंग सो इलाके से 180 किलोमीटर दूर सैन्य हवाईअड्डे का उन्नयन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि चीनी सेना एलएसी के निकट अपने पीछे के सैन्य अड्डों पर रणनीतिक रूप से जरूरी चीजों का भंडारण कर रही है, जिनमें तोप, युद्धक वाहनों और भारी सैन्य उपकरणों आदि को वहां पहुंचाना शामिल है।
5 मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प
भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी सीमावर्ती आधारभूत परियोजनाओं को नहीं रोकेगा। दोनों देशों के सैनिक गत पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में लोहे की छड़ और लाठी-डंडे लेकर आपस में भिड़ गए थे। उनके बीच पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। पांच मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ‘‘अलग’’ हुए। इसी तरह की एक घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास लगभग 150 भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे।