कोरोना महामारी के बीच राहत की खबर, कोविड-19 की दवा बनाने के करीब पहुंचा भारत

By निखिल वर्मा | Published: May 5, 2020 10:01 AM2020-05-05T10:01:59+5:302020-05-05T10:08:11+5:30

कोरोना महामारी संकट पिछले 5 महीने से पूरी दुनिया में तबाही मचाए हुए है. अभी भी दुनिया भर के वैज्ञानिक/डॉक्टर कोरोना वायरस के दवा/वैक्सीन की खोज में जुटे हुए हैं. इस बीच अमेरिका में इबोला की दवा रेमडेसिविर से कोरोना रोगियों का इलाज शुरू किया जा चुका है.

India a step closer to making key drug Remdesivir to treat Covid-19 | कोरोना महामारी के बीच राहत की खबर, कोविड-19 की दवा बनाने के करीब पहुंचा भारत

एएफपी फोटो

Highlightsकोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,568 हुई; संक्रमित लोगों की संख्या 46,433 हुई एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए सबसे पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी।

कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप भारत में तेजी से बढ़ता जा रहा है। बीते 24 घंटे में भारत में कोरोना वायरस के 3900 मामले सामने आए हैं और 195 लोगों की मौत हुई है। भारत में केसों की संख्या 46 हजार पार पहुंच गई है। हालांकि इस बीच एक राहत की खबर है। भारत कोविड-19 की दवा बनाने के करीब पहुंच चुका है। हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिल टेक्नोलॉजी (IICT) ने कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल हो रहे रेमडेसिवीर के लिए स्टार्टिंग मैटेरियल को सिन्थेसाइज्ड (संश्लेषित) किया है, जो दवा बनाने की दिशा में पहला कदम है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार आईआईसीटी ने सिप्ला जैसी दवा निर्माताओं के लिए काम शुरू किया है ताकि जरूरत पड़ने में भारत में भी इसे बनाया जा सके। कुछ दिनों पहले ही अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिविर के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी तब दी गई है जब कुछ शोधकर्ताओं ने पाया कि यह दवा संक्रमित लोगों को तेजी से स्वस्थ होने में मदद करती है।

रेमडेसिवीर को मूलत: इबोला के उपचार के लिए विकसित किया गया था और इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह विषाणुओं को शरीर के भीतर अपने प्रतिरूप बनाने से रोक सके।  रेमडेसिवीर का निर्माण गिलियड साइंसेज करती है।

गिलीड साइंसेज का दावा है कि रेमडेसिविर दवा की पांच दिन की खुराक के बाद कोविड-19 के मरीजों में से 50 प्रतिशत की हालत में सुधार हुआ और उनमें से आधे से अधिक को दो सप्ताह के भीतर छुट्टी दे दी गई। रेमडेसविर के तीन प्रमुख स्टार्टिंग मैटेरियल यानी केएमएस हैं- पायरोल, फुरोन और फॉस्फेट। आईआईसीटी के निदेशक डॉक्टर श्रीवरी चंद्रशेखर ने बताया कि केएसएम का संश्लेषण दवा बनाने में एक महत्वपूर्ण चरण है। भारत कोविड-19 के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सॉलिडैरिटी ट्रायल का हिस्सा है और इसे टेस्टिंग के लिए रेमडेसिविर की 1000 खुराक प्राप्त हुई हैं।  

इससे पहले एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए सबसे पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दवा का इस्तेमाल करने की पैरवी करते रहे हैं। इस दवा से न्यूयॉर्क तथा कई अन्य स्थानों पर मरीजों का इलाज हुआ है। मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने की शुरुआती चरण के दौरान प्रभावी पाई गई है लेकिन हृदयरोगियों के लिए यह घातक है। 

Web Title: India a step closer to making key drug Remdesivir to treat Covid-19

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