बाघा बॉर्डर के बाद बिहार का पूर्णिया, देश का इकलौता स्थान, जहां 14 अगस्त की अंधेरी रात में ही फहराता है तिरंगा

By एस पी सिन्हा | Published: August 14, 2020 05:34 PM2020-08-14T17:34:29+5:302020-08-14T17:34:29+5:30

अंधेरी रात में तिरंगा अपने शौर्य और वैभव की अलख बिखेरता नजर आता है. जंग-ए-आजादी के दौरान बापू तीन बार पूर्णिया आए. 1925, 1927 और फिर 1934 में. डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी कई बार पूर्णिया आए. जंग-ए-आजादी की लड़ाई में यह शहर सक्रिय केंद्र था. 

Independence Day 2020 Bagha border Bihar's Purnia only place country tricolor flutters dark night 14 August | बाघा बॉर्डर के बाद बिहार का पूर्णिया, देश का इकलौता स्थान, जहां 14 अगस्त की अंधेरी रात में ही फहराता है तिरंगा

जब ठीक 12 बजकर एक मिनट पर स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर कुमार सिंह ने झंडोत्तोलन किया था. (file photo)

Highlightsबिहार के पूर्णिया में रात को ही तिरंगा फहराने की परंपरा 14 अगस्त 1947 से ही चली आ रही है. पूर्णिया के लोग 14 अगस्त की रात यानी आज की रात ठीक 12:01 बजे आन, बान और शान से तिंरगा फहरायेंगे. पूर्णिया के लोग झंडा चौक पर सैंकड़ों की संख्या में जमा होते हैं. 14 अगस्त 1947 की उस स्वर्णिम पल को लोग याद करते हैं.

पटनाः पूरा देश जहां स्वतंत्रता दिवस की सुबह झंडा फहराता है, वहीं, बिहार के पूर्णिया शहर में सुबह का इंतजार नहीं किया जाता है. बाघा बॉर्डर के बाद महज पूर्णिया ही देश का ऐसा इकलौता स्थान है, जहां हर साल 14 अगस्त की अंधेरी रात में ही तिरंगा फहराया जाता है.

अंधेरी रात में तिरंगा अपने शौर्य और वैभव की अलख बिखेरता नजर आता है. जंग-ए-आजादी के दौरान बापू तीन बार पूर्णिया आए. 1925, 1927 और फिर 1934 में. डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी कई बार पूर्णिया आए. जंग-ए-आजादी की लड़ाई में यह शहर सक्रिय केंद्र था. 

बिहार के पूर्णिया में रात को ही तिरंगा फहराने की परंपरा 14 अगस्त 1947 से ही चली आ रही है. 74वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल तिरंगा फहरायेंगे, लेकिन पूर्णिया के लोग 14 अगस्त की रात यानी आज की रात ठीक 12:01 बजे आन, बान और शान से तिंरगा फहरायेंगे.

पूर्णिया के लोग झंडा चौक पर सैंकड़ों की संख्या में जमा होते हैं. 14 अगस्त 1947 की उस स्वर्णिम पल को लोग याद करते हैं. जब ठीक 12 बजकर एक मिनट पर स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर कुमार सिंह ने झंडोत्तोलन किया था.

झंडा चौक पर इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने पहुंचे लोग देशभक्ति की रंग से लबरेज होकर आते हैं. बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग हाथों में तिरंगा लेकर 'भारत माता की जय' का जयघोष करते हैं. बताया जाता है कि 14 अगस्त 1947 को सुबह से ही पूर्णिया के लोग आजादी की खबर सुनने के लिए बेचैन थे.

दिनभर झंडा चौक पर लोगों की भीड मिश्रा रेडियो की दुकान पर लगी रही, मगर जब आजादी की खबर रेडियो पर नहीं आई, तो लोग घर लौट आये. मगर मिश्रा रेडियो की दुकान खुली रही. रात के 11:00 बजे थे कि झंडा चौक स्थित मिश्रा रेडियो की दुकान पर रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास सहित उनके सहयोगी दुकान पर पहुंचे.

आजादी की बात शुरू हो गई. इस बीच, मिश्रा रेडियो की दुकान पर सभी के आग्रह पर रेडियो खोला गया. रेडियो खुलते ही माउंटबेटन की आवाज सुनाई दी. आवाज सुनते ही लोग खुशी से उछल पडे़. साथ ही निर्णय लिया कि इसी जगह आजादी का झंडा फहराया जाएगा.

आनन-फानन में बांस, रस्सी और तिरंगा झंडा मंगवाया गया और 14 अगस्त, 1947 की रात 12 बजे रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा फहराया. उसी रात चौराहे का नाम झंडा चौक रखा गया. झंडोत्तोलन के दौरान मौजूद लोगों ने शपथ लिया कि इस चौराहे पर हर साल 14 अगस्त की रात सबसे पहला झंडा फहराया जाएगा. तब से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है और रामेश्वर प्रसाद सिंह के परिवार के लोग इसे बखूबी निभाते चले आ रहे हैं.

Web Title: Independence Day 2020 Bagha border Bihar's Purnia only place country tricolor flutters dark night 14 August

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