कोरोना संकट के बीच बेरोजगारी दर में वृद्धि, मनरेगा को मजबूत बनाने की मांग

By भाषा | Published: May 17, 2020 02:18 PM2020-05-17T14:18:05+5:302020-05-17T14:18:05+5:30

सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण बेरोजगारी दर वाले राज्यों में तमिलनाडु (49.8%), झारखंड (47.6%), बिहार (46.6%), हरियाणा (43.4%) और कर्नाटक (29.8%) शामिल हैं जबकि कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्य हैं ।

Increase in unemployment rate amid Corona crisis, demand for strengthening of MNREGA | कोरोना संकट के बीच बेरोजगारी दर में वृद्धि, मनरेगा को मजबूत बनाने की मांग

कोरोना संकट के बीच बेरोजगारी दर में वृद्धि, मनरेगा को मजबूत बनाने की मांग

Highlights 2019-20 में जहां उनकी संख्या 8.6 करोड़ थी तो अप्रैल 2020 में वह घट कर 6.8 करोड़ रह गई । रिपोर्ट कहती है कि वेतनभोगी रोज़गार वाले लोगों की संख्या भारत में पिछले तीन सालों से 8 से 9 करोड़ के बीच रही है ।

नयी दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान देश में बेरोजगारी दर में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है और सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार तीन मई को समाप्त सप्ताह के दौरान यह बढ़कर 27.11 प्रतिशत हो गई । हालांकि खेती बाड़ी का काम कर रहे लोग इस पूरी गिरावट में अपवाद हैं जहां मार्च-अप्रैल में इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है । सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में यह बात कही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण बेरोजगारी दर वाले राज्यों में तमिलनाडु (49.8%), झारखंड (47.6%), बिहार (46.6%), हरियाणा (43.4%) और कर्नाटक (29.8%) शामिल हैं जबकि कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्य हैं । किसान मजदूर शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने ‘‘भाषा’’ से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद होने से हर सेक्टर में बेरोजगारी बढ़ी है।

लॉकडाउन के दौरान पिछले दो महीने में शहरों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों की स्थिति और भी खराब हुई है । एक तरफ उनकी बचत खत्म हो गई है तो दूसरी ओर भविष्य की अनिश्चितता को देखते हुए वे घरों को वापस लौटने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि शहरों में कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल अधिकांश उद्योग-कारोबार बंद हैं। ये श्रमिक जो अभी तक अपनी जीविका के लिए सरकारों पर निर्भर नहीं थे, अब उनकी ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं । ऐसे में मनरेगा को गति देने से श्रमिकों को पहले की तरह मजदूरी तो नहीं मिलेगी, लेकिन मनरेगा के तहत इतना पैसा मिल जाएगा कि जिंदगी का गुजर बसर हो सकता है।

सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ़ खेती बाड़ी का काम कर रहे लोग इस पूरी गिरावट का अपवाद हैं । कृषि क्षेत्र में काम कर रहे लोगों ने मार्च- अप्रैल 2020 में 5 फ़ीसदी (.6 करोड़ लोग) की बढ़ोतरी दर्ज की है और ऐसा इसलिए हो रहा है कि शहरों में रोज़गार छूटने के बाद लोग गाँव लौट रहे हैं। डे ने कहा, ‘‘ नगरों से इस तरह के पलायन को देखते हुए सरकार को ‘‘शहरी मनरेगा’’ योजना शुरू करनी चाहिए । ’’ सीएमआईई की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, वेतनभोगी रोज़गार पर लगे लोगों की संख्या में भी अप्रत्याशित कमी आई है । 2019-20 में जहां उनकी संख्या 8.6 करोड़ थी तो अप्रैल 2020 में वह घट कर 6.8 करोड़ रह गई । इस वर्ग के रोज़गार में 21 फ़ीसदी गिरावट दर्ज की गई।

रिपोर्ट कहती है कि वेतनभोगी रोज़गार वाले लोगों की संख्या भारत में पिछले तीन सालों से 8 से 9 करोड़ के बीच रही है । ये गिरावट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस वर्ग में नये अवसर पैदा होने के आसार कम हैं । रिपोर्ट में कहा गया कि शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है । लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों को भारी झटका लगा है । इनमें फेरीवाले, सड़क किनारे दुकानें लगाने वाले विक्रेता, निर्माण उद्योग में काम करने वाले श्रमिक और रिक्शा चलाकर पेट भरने वाले लोग शामिल हैं।

जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव ने कहा कि बेरोजगारी दर पिछले वर्ष में बढ़ी है और लॉकडाउन के कारण इसमें काफी वृद्धि देखने को मिल रही है। शहरों से श्रमिकों का गांव की ओर पलायन जारी है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार पर दबाव बढ़ेगा, जहां मनरेगा रोजगार का एक बड़ा माध्यम रहा है। उन्होंने कहा कि अब राज्यों के सामने चुनौती यह है कि जो लोग पहले से मनरेगा में काम करते रहे हैं उनके साथ-साथ नए आए प्रवासी मजदूरों के लिए भी रोजगार सृजन करना होगा।

यादव ने कहा, एक समस्या यह भी है कि प्रवासी मजदूरों में सभी लोग गांव ही नहीं लौटेंगे, उनमें से बहुत बड़ी संख्या छोटे शहरों और कस्बों में लौटने वाले लोगों की भी होगी । सरकार को उनके लिए भी रोजगार का कुछ उपाय करना चाहिए । विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट और गहरायेगा जब अगले दो महीने में खेती से जुड़े काम खत्म हो जायेंगे।

Web Title: Increase in unemployment rate amid Corona crisis, demand for strengthening of MNREGA

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