बिहार: बाढ़ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक में नीतीश कुमार ने नेपाल से असहयोग का विषय उठाया
By भाषा | Published: August 10, 2020 09:50 PM2020-08-10T21:50:55+5:302020-08-10T21:50:55+5:30
नीतीश कुमार ने कहा कि 2008 में कोसी त्रासदी के समय भी बांध टूटने से बिहार पूरी तरह प्रभावित हुआ था, उस वर्ष भी मधेपुरा जिले में पहले से बने हुए बांध की मरम्मत और मधुबनी में नो मैन्स लैंड में बने बांध की मरम्मत में नेपाल सरकार ने सहयोग नहीं किया।
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बिहार के उत्तरी जिलों में आई बाढ़ से निपटने में नेपाल की ओर से कथित रूप से सहयोग नहीं मिलने के विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित किया।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ देश में बाढ़ की स्थिति एवं बाढ प्रबंधन के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई समीक्षा बैठक के दौरान कुमार ने कहा कि नेपाल में ज्यादा वर्षा के कारण उत्तर बिहारबाढ़ आती है तथा भारत-नेपाल समझौते के आधार पर बिहार का जल संसाधन विभाग सीमावर्ती इलाके में बाढ़ प्रबंधन का कार्य करता है लेकिन हाल के वर्षों में नेपाल सरकार द्वारा पूरा सहयोग नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 2008 में कोसी त्रासदी के समय भी बांध टूटने से बिहार पूरी तरह प्रभावित हुआ था, उस वर्ष भी मधेपुरा जिले में पहले से बने हुए बांध की मरम्मत और मधुबनी में नो मैन्स लैंड में बने बांध की मरम्मत में नेपाल सरकार ने सहयोग नहीं किया। कुमार ने कहा, ‘‘ बिहार के संबंधित अधिकारियों ने नेपाल के अधिकारियों से बातचीत कर समाधान की कोशिश की लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं दिया। मरम्मत का जो कार्य मई के मध्य तक पूरा हो जाना चाहिए था उसे जून के अंत तक ठीक कराया गया।
हमलोगों ने अपनी सीमा क्षेत्र में बांध मजबूत करने का कार्य किया है। इस स्थिति पर गौर करने की जरुरत है।’’ उन्होंने कहा कि गंगा नदी के कारण भी वर्ष 2016 में 13 जिले बाढ से प्रभावित हुए थे। फरक्का बराज से जल निकासी में अब ज्यादा समय लग जाता है, जिससे गंगा नदी का पानी ज्यादा दिनों तक ज्यादा क्षेंत्रों में फैला रहता है। इस पर भी विचार करने की जरुरत है।
नीतीश ने कहा, ‘‘भारत एवं बांग्लादेश के बीच गंगा नदी समझौते के अनुसार फरक्का बैराज पर गंगा नदी का जलश्राव 1500 क्यूसेक सुनिश्चित करना पडता है। जबकि गंगा नदी से बिहार में मात्र 400 क्यूसेक जल प्राप्त होता है। शेष 1100 क्यूसेक जल गंगा नदी में बिहार के क्षेत्र से जाता है।
इस प्रकार बिहार में गंगा नदी का जल होते हुये भी राज्य इसका उपयोग नहीं कर पाता है।’’ उन्होंने कहा कि बिहार के कोसी-मेची नदी को राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना के अंतर्गत शामिल किया जाये, क्योंकि नदी जोडने से बाढ़ की संभावना कम होगी और पानी का लोग ज्यादा उपयोग कर सकेंगे। कुमार ने कहा कि वर्ष 2017 में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा के लिए बिहार पहुंचे प्रधानमंत्री के साथ पूर्णिया में बाढ के संबंध में विस्तृत चर्चा हुई थी।
उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार बाढ़ से अभी पूरी तरह प्रभावित है। राज्य में सितंबर तक बाढ़ की आशंका बनी हुई रहती है। उन्होंने कहा कि अभी राज्य के 16 जिलों के 125 प्रखंडों के 2232 पंचायतों की 74 लाख 20 हजार से ज्यादा की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है ऐसे में एनडीआरएफ की 23 और एसडीआरएफ की 17 टीमें बचाव एवं राहत का काम लगातार कर रही हैं तथा पांच लाख आठ हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 29 राहत शिविरों में 27 हजार लोग हैं और वहां लोगों के बीच एक दूसरे से दूरी कापालन कराया जा रहा है और उनकी कोरोना संक्रमण की जांच भी करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि 1267 सामुदायिक रसोई केंद्रों पर प्रतिदिन साढ़े नौ लाख से अधिक लोग भोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग बाढ प्रभावित प्रत्येक परिवारों को छह हजार रुपये राशि पहले से देते आ रहे है जिसमें तीन हजार रुपये अनाज और तीन हजार रुपये कपड़े और अन्य जरुरतों की पूर्ति के लिए देते है।
वर्ष 2017 में 2385 करोड 42 लाख और वर्ष 2019 में 2003 करोड 55 लाख की ग्रैचुट गई है। इस वर्ष अब तक 6 लाख 31 हजार 295 बाढ़ प्रभावित परिवारों के खातें में ग्रैचुट्स रिलीफ की 378 करोड 77 लाख की राशि अंतरित कर दी गई है।’’ उन्होंने कहा कि स्टेट डिजास्टर रिस्क फंड में 75 प्रतिशत केंद्र का और 25 प्रतिशत राज्य की राशि का प्रावधान किया गया है। ग्रैचुट्स रिलीफ पर एक बार में 25 प्रतिशत राशि खर्च करने की अधिसीमा निर्धारित की गई है। इसे भी समाप्त किया जाना चाहिए।
इससे प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रति वर्ष राज्य सरकार के खजाने पर पडने वाले आर्थिक बोझ को काफी कम किया जा सकेगा। हमलोगों को ग्रैचुटस रिलीफ में काफी खर्च करना पड़ता है। नीतीश ने कहा कि बाढ़ प्रभावितों को ग्रैचुट्स रिलीफ की राशि देने के साथ-साथ राज्य सरकार बांधों की मरम्मती एवं अन्य कार्यों के लिए खर्च करती है। किसानों को भी राहत दी जाती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में भी रिलीफ फंड को लेकर प्रधानमंत्री जी से चर्चा हुई थी।
उन्होंने कहा कि अन्य जरुरी सहायता भी केंद्र के द्वारा दी जाती रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक तरफ हम सभी कोरोना जैसी आपदा से बचाव को लेकर लगातार कार्य कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बाढ जैसी प्राकृतिक आपदा से भी निपटने के लिए कार्य कर रहे है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की जांच पर विशेष जोर दिया जा रहा है।