मथुरा में हड्डियों के डॉक्टर ने बना दिया आँखों से दिव्यांग होने का प्रमाणपत्र

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 22, 2020 05:34 PM2020-01-22T17:34:19+5:302020-01-22T17:34:19+5:30

सीएमओ ने सोमवार को विकलांग बोर्ड में मौजूद रहे डॉ. मुनीष पौरुष एवं डॉ. प्रभाकर से इस बारे में पूछताछ की। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि प्रमाणपत्र 40 प्रतिशत का बना था, वहीं मंगलवार को जारी करवाया गया स्थाई प्रमाणपत्र 42 प्रतिशत का बनाया गया।

In Mathura, the doctor of bones made a certificate of being disabled with eyes | मथुरा में हड्डियों के डॉक्टर ने बना दिया आँखों से दिव्यांग होने का प्रमाणपत्र

मथुरा में हड्डियों के डॉक्टर ने बना दिया आँखों से दिव्यांग होने का प्रमाणपत्र

Highlightsहड्डियों के डाक्टर ने मिलकर एक ऐसे युवक को नेत्रों से 42 फीसद विकलांग होने का प्रमाणपत्र तैयार कर थमा दियाइससे पहले उसी आफिस से 40 प्रतिशत विकलांगता का प्रमाणपत्र जारी किया जा चुका था।

जिले में मुख्य चिकित्साधिकारी के दफ्तर में तैनात हड्डियों के डाक्टर एवं संबंधित क्लर्क ने मिलकर एक ऐसे युवक को नेत्रों से 42 फीसद विकलांग होने का प्रमाणपत्र तैयार कर थमा दिया जिसे पहले उसी आफिस से 40 प्रतिशत विकलांगता का प्रमाणपत्र जारी किया जा चुका था।

मामले की जानकारी होने पर मुख्य चिकित्साधिकारी ने उक्त प्रमाण पत्र को निरस्त करते हुए दोनों के खिलाफ जांच बैठा दी है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. शेर सिंह के अनुसार छाता तहसील के नौगांव निवासी धर्मवीर ने सोमवार को कार्यालय के विकलांग बोर्ड के समक्ष आवेदन कर दृष्टि में कमी के चलते अस्थाई रूप से दिव्यांग होने का प्रमाणपत्र बनवाया। इसमें उसकी विकलांगता 40 प्रतिशत तक दर्शायी गई थी।

बहरहाल, अधिक दिव्यांगता दिखाने के इच्छुक धर्मवीर ने दिव्यांग प्रमाणपत्र जारी करने वाले बोर्ड के बाबू तथा हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. लाल सिंह से मिलीभगत कर मंगलवार को "तहसील दिवस" के दौरान मनमाफिक प्रमाणपत्र बनवा लिया। डॉ शेर सिंह ने बताया कि प्रमाणपत्र पर सीएमओ के भी हस्ताक्षर थे जो हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ने अन्य प्रमाणपत्रों के बीच रखकर करा लिए थे। लेकिन शिविर समाप्ति के समय प्रमाणपत्रों की दिव्यांग रजिस्टर में प्रविष्टि के दौरान, एक दिन पहले ही बनवाए गए प्रमाणपत्र से मिलान होने पर मामला पकड़ में आ गया।

सीएमओ ने सोमवार को विकलांग बोर्ड में मौजूद रहे डॉ. मुनीष पौरुष एवं डॉ. प्रभाकर से इस बारे में पूछताछ की। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि प्रमाणपत्र 40 प्रतिशत का बना था, वहीं मंगलवार को जारी करवाया गया स्थाई प्रमाणपत्र 42 प्रतिशत का बनाया गया। डॉ शेर सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए डॉ. लाल सिंह एवं संबंधित बाबू के खिलाफ जांच के आदेश दिए तथा दिव्यांग प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया।

Web Title: In Mathura, the doctor of bones made a certificate of being disabled with eyes

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