JNU विवाद: केंद्र सरकार ने दी सलाह, छात्रों पर दायर केस वापस ले यूनिवर्सिटी प्रशासन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 9, 2019 08:01 AM2019-12-09T08:01:15+5:302019-12-09T08:03:16+5:30

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि के बाद छात्रों के विरोध को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय व छात्र संघ के बीच एक समझौता फार्मूला के तहत इस मामले में आगे की कार्रवाई करने का मन बनाया है। इस बारे में मंत्रालय ने जेएनयू को सूचित कर दिया है और अब वापस यूनिवर्सिटी की प्रतिक्रिया सुनने का इंतजार कर रहा है।

In compromise, govt advises JNU to notify students’ union, withdraw cases | JNU विवाद: केंद्र सरकार ने दी सलाह, छात्रों पर दायर केस वापस ले यूनिवर्सिटी प्रशासन

JNU को केंद्र सरकार ने दी सलाह, छात्रों पर दायर केस वापस ले यूनिवर्सिटी प्रशासन

Highlightsफीस वृद्धि को आधिकारिक तौर पर पारित कर दिया गया था जिसके बाद छात्र समुदाय विरोध में भड़क गया था।उच्च-स्तरीय समिति (HPC) द्वारा 26 नवंबर को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद सरकार द्वारा यह पहला हस्तक्षेप है।

मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन को छात्रों के खिलाफ पुलिस शिकायत को वापस लेने के लिए कहा है। मंत्रालय के मुताबिक, विश्वविद्यालय में गतिरोध समाप्त करने के लिए पहला कदम  है।

सरकार ने विश्वविद्यालय के लिए एक समझौता फार्मूला प्रस्तावित किया है। मंत्रालय अब जेएनयू से वापस इस फॉर्मूले के बारे में सुनने का इंतजार कर रहा है।

जेएनयूएसयू की अधिसूचना और पुलिस शिकायतों को वापस लेना समझौता फार्मूला का हिस्सा है। यदि विश्वविद्यालय इससे सहमत है, तो सरकार को उम्मीद है कि छात्रों को आंदोलन को बंद करने के लिए कहा जाएगा, न कि "घेराव" करने की इजाजत दी जाएगी। मंत्रालय ने जेएनयू के अधिकारियों और विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के साथ "संवाद" करने के लिए कहा है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, छात्र संघ की अधिसूचना जारी करने में यूनिवर्सिटी को समस्या नहीं होनी चाहिए क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले ही जेएनयूएसयू की चुनाव समिति को संघ चुनावों के परिणाम घोषित करने की अनुमति दे दी है।  

सरकार ने पुलिस मामलों को वापस लेने की सलाह दी है क्योंकि ऐसा लगता है कि टकराव का माहौल गतिरोध को हल करने में मदद नहीं करेगा। पिछले महीने, दिल्ली पुलिस ने छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय के प्रशासन ब्लॉक में "बर्बरता" के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

आपको बता दें कि उच्च-स्तरीय समिति (HPC) द्वारा 26 नवंबर को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद सरकार द्वारा यह पहला हस्तक्षेप है। छात्रावास की फीस में वृद्धि पर गतिरोध को समाप्त करने के उपाय सुझाने के लिए गठित समिति ने सुझाव दिया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को जेएनयू को अपने नकदी संकट से निपटने के लिए अतिरिक्त धनराशि जारी करनी चाहिए। इसके अलावा विश्वविद्यालय को अपने सभी स्टेक होल्डर से सलाह लेने के बाद ही फीस बढ़ानी चाहिए।

छात्रों के विरोध का मुख्य कारण सेवा शुल्क - रखरखाव, मेस चार्ज, स्वच्छता और उपयोगिता शुल्क (बिजली और पानी की खपत) है, जो अब तक छात्रावास शुल्क में शामिल नहीं थे।

सरकार ने पुलिस मामलों को वापस लेने की सलाह दी है क्योंकि ऐसा लगता है कि टकराव का माहौल गतिरोध को हल करने में मदद नहीं करेगा। पिछले महीने, दिल्ली पुलिस ने छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय के प्रशासन ब्लॉक में "बर्बरता" के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

दरअसल, एक कमरे का किराया 20 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया है और डबल शेयरिंग रूम के लिए 10 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।

चूंकि फीस वृद्धि को आधिकारिक तौर पर पारित कर दिया गया था जिसके बाद छात्र समुदाय विरोध में भड़क गया था। इसी विरोध के बाद जेएनयू ने दो आंशिक रोलबैक की घोषणा की है।

जेएनयू ने पहले गरीबी रेखा से नीचे के छात्रों (बीपीएल) के लिए कमरे के किराए, उपयोगिता और सेवा शुल्क में 50% रियायत की घोषणा की। हालांकि, प्रशासन को स्पष्ट करना बाकी है कि किन छात्रों की पहचान बीपीएल के रूप में किया जाएगा।
 

Web Title: In compromise, govt advises JNU to notify students’ union, withdraw cases

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