बिहार में जहां खून से लाल होती थी धरती, वहां फूलों की खेती से महक उठा है इलाका, लाखों कमा रहे हैं किसान
By एस पी सिन्हा | Updated: December 7, 2025 14:59 IST2025-12-07T14:59:53+5:302025-12-07T14:59:53+5:30
नरसंहार के चलते धरती लाल हो जाती थी। लेकिन नक्सल की समाप्ति के बाद जहानाबाद जिले के कुछ इलाकों में किसान फूल की खेती (विशेषकर गेंदा और उड़हुल) से अच्छी कमाई कर रहे हैं, यह पूरी तरह से 'मालामाल' होने की बात है।

बिहार में जहां खून से लाल होती थी धरती, वहां फूलों की खेती से महक उठा है इलाका, लाखों कमा रहे हैं किसान
पटना: बिहार के मगध प्रमंडल में जहां 90 के दशक में बंदूकें गरजती थीं और जमीन खून से लाल हो जाते थे, आज उस धरती पर फूलों की खेती से पूरा इलाका महक उठा है। दरअसल मगध प्रमंडल में नक्सलियों का आतंक था। रात की बात तो छोड़ दें दिन के उजाले में भी लोग घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। आए दिन नरसंहार की पटकथाएं लिखी जाती थीं। ऐसे में हजारों एकड़ जमीन परती पड गए थे। नरसंहार के चलते धरती लाल हो जाती थी। लेकिन नक्सल की समाप्ति के बाद जहानाबाद जिले के कुछ इलाकों में किसान फूल की खेती (विशेषकर गेंदा और उड़हुल) से अच्छी कमाई कर रहे हैं, यह पूरी तरह से 'मालामाल' होने की बात है।
किसान गेंदा और अड़हुल जैसे फूलों की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, खासकर शादी-विवाह और पूजा-पाठ के मौसम में। किंजर एवं चनौरा गांव में अड़हुल व गेंदे के फूल की खेती कर किसान अच्छी आमदनी कर रहे हैं। बताया जाता है कि पिछले आठ-दस वर्षों में फूलों की खेती से कई मालाकार जुड़ गए हैं। अधिकांश मालाकार किसान 8-10 कट्ठा जमीन मे फूल की खेती कर रहे हैं। इससे उनका आर्थिक पक्ष मजबूत होने लगा है। किसान दिनेश कुमार ने बताया कि रोजाना तीन से चार सौ रुपए की नकद आमदनी हो जाती है। उनके खेत के उड़हुल व गेंदा के फूल पटना स्थित महावीर मंदिर में बिक्री के लिए जाता है। किसान सह पूर्व मुखिया रामनारायण भगत ने बताया कि गेंदा फूल की खेती से अधिक आमदनी उड़हुल फूल की खेती में होती है। इसका एक बार पौधा लगा देने पर उससे 20-30 वर्षों तक फूल निकलते रहता है।
उन्होंने बताया कि गेंदा के बिचड़े को एक वर्ष में तीन बार रोपना पड़ता है। हर चार माह पर उसके डंठल को खेत से हटाया जाता है। जबकि उड़हुल की खेती में ऐसा नहीं है। मालाकारों ने बताया कि फूल की डिमांड अश्विन एवं चैत्र नवरात्रि में अधिक बढ़ जाता है। यहां के फूल जहानाबाद, गया, आरा, दानापुर तक बिक्री के लिए जाता है। इधर, गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार के उद्यान एवं बागवानी मिशन ने 70 फीसदी अनुदान देने का फैसला लिया गया है। उद्यान विभाग के अनुसार सितंबर माह से शुरू इसके लिए आवेदन की शुरुआत की जाएगी। विभाग को इसके लिए गाइड लाइन मिल चुका है। गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा देने के लिये कृषि विभाग की ओर से गाइडलाइन जारी किया गया है। इस बार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत गेंदा फूल की खेती के लिये सरकार की ओर से 70 फीसदी अनुदान दिया जायेगा।
बता दें कि गेंदा एक खास और लोकप्रिय फूल है। कई तरह से त्योहार से लेकर पूजा में इस फूल का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऐसे फूल है, जो सालभर आसानी से मिल सकता है। राखी से लेकर दशहरा और दीपावली तक में इस फूल का इस्तेमाल किया जाता है। किसान कम लागत में भी इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। अतिरिक्त आय के लिए भी इसकी खेती की जा सकती है। वहीं, गेंदे के फूलों की बाजार में अच्छी मांग है। इसको देखते हुए किसानों के लिए इसका उत्पादन बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। इस फसल के बारे में खास बात तो यह है कि इसकी खेती कम जगह पर भी आसानी से की जा सकती है। यदि, आपके पास एक हेक्टेयर भी जमीन है तो आप इसकी खेती कर हर साल करीब 15 लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं।
जानकार बताते है कि जनवरी के महीने में गेंदा का फूल लगाना सबसे सही होता है। इसका नवरात्र के पूजा में भरपुर इस्तेमाल होता है। इसकी बाजारों में अच्छी कीमत भी है। गेंदा का फूल पूरे देश में महत्व रखता है। मेले से लेकर सजावट में इसके फूलों का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है। यह एक ऐसा फूल है, जिसे राज्य के तीनों मौसम में उगाया जाता है। लेकिन, मुख्य रूप से यह ठंडी जलवायु का फसल है। माला के साथ ही सजावट के लिए इसका विशेष रूप से उपयोग होता है। सितंबर के महीने में गेंदा के फूल को लगाने से इसमें सबसे ज्यादा पैदावार होती है। सरकार की ओर से सितंबर महीने से ही इस फसल को लगाने पर अनुदान दिया जाएगा।