लगभग तीन वर्षों में भक्त मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला का पूजन-अर्चन कर सकेंगे: विहिप
By भाषा | Published: August 3, 2020 08:10 PM2020-08-03T20:10:53+5:302020-08-03T20:10:53+5:30
1989 में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के लिए शिलान्यास हुआ था, पर मंदिर का निर्माण शासकीय बाधाओं, राजनीति और न्यायालयों में देरी के मकड़जाल में फंस गया।
लखनऊ। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने सोमवार को कहा कि 1989 में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के लिए शिलान्यास हुआ था, पर मंदिर का निर्माण शासकीय बाधाओं, राजनीति और न्यायालयों में देरी के मकड़जाल में फंस गया। उन्होंने कहा कि लगभग 31 वर्ष बाद, अब यह सुखद संयोग बना है कि पांच अगस्त को प्रधानमंत्री की उपस्थिति में मंदिर का निर्माण शुरू होगा और यह आशा की जा सकती है कि लगभग तीन वर्षों के समय में राम भक्त मंदिर के गर्भगृह में विराजमान श्री रामलला का पूजन-अर्चन कर सकेंगे।
विहिप द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक उन्होंने कहा, ”हमारा विश्वास है कि यह सारा प्रयत्न केवल एक और मंदिर बनाने के लिए नहीं है। यह अभियान तो पृथ्वी पर रामत्व की स्थापना के लिए, राम राज्य के लिए है।”
कुमार ने कहा, ”रामत्व एक ऐसे समतामूलक समाज बनाने से आयेगा जिसमे सब मनुष्यों को गरिमा मिलेगी। रोटी, कपड़ा और मकान के साथ, शिक्षा और रोजगार की भी आश्वस्ति होगी। परिवार के सदस्यों में प्रेम होगा...।” इस उद्देश्य से विश्व हिन्दू परिषद के सहयोग से देश के एक लाख से ज्यादा गांवों में एकल विद्यालय चलते हैं। इन विद्यालयों के द्वारा शिक्षा, संस्कार, स्वच्छता, जैविक खेती और आत्मनिर्भर ग्राम को बनाने के काम को गति देंगे।