पहली बार राम मंदिर के लिए आरएसएस ने 1959 में पेश किया था प्रस्ताव
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 5, 2020 08:06 AM2020-08-05T08:06:19+5:302020-08-05T08:10:07+5:30
1959 में संघ के द्वितीय सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी के कार्यकाल में प्रस्ताव पारित कर मंदिर का जिक्र किया गया.
अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक खासे उत्साहित हैं. वैसे भी संघ ने राम जन्मभूमि के लिए हुए संघर्ष में अहम भूमिका का निर्वाह किया है. 1959 में पहली बार संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में राम मंदिर के संदर्भ में प्रस्ताव पेश हुआ था. बुधवार को होने वाले भूमिपूजन समारोह में संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत एवं सरकार्यवाह भैयाजी जोशी प्रमुखता से उपस्थित रहेंगे.
मंदिर के लिए संघर्ष की बात करें तो 1959 में संघ के द्वितीय सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी के कार्यकाल में प्रस्ताव पारित कर मंदिर का जिक्र किया गया. संघ ने समाज में सहिष्णुता को कायम रखते हुए मंदिर के पुनर्निर्माण की बात की थी. लेकिन इस प्रस्ताव में अयोध्या के राम मंदिर के स्थान पर काशी विश्वनाथ मंदिर पर अधिक जोर दिया गया. इसके बाद करीब दो दशक तक संघ की ओर से कोई अधिकृत प्रस्ताव पेश नहीं किया गया.
बहरहाल, विश्व हिंदू परिषद एवं अन्य संगठनों के माध्यम से इसकी चर्चा को कायम रखा गया. समय-समय पर तत्कालीन सरसंघचालक एवं सरकार्यवाहों ने सार्वजनिक मंच से यह मुद्दा जनता के समक्ष जरूर रखा.
कब-कब पारित हुए अधिकृत प्रस्ताव
1959 : अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
1986 : अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
1987 : अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
1989 : अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल
1990 : अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल
1991 : अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
1992 : अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल
1994 : अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
2001 : अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
2003 : अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल
2020 : अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल
1991 में अपनाया आक्रामक रुख
1991 में हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में अयोध्या में हुई हिंसा के खिलाफ संघ ने आक्रामक रुख अख्तियार किया. राम ज्योति यात्रा, अयोध्या में पंचकोसी और चौदह कोसी यात्रा के साथ-साथ धर्मसभा पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध किया गया. शिलान्यास स्थल पर लगी छत्री को हटाने की मांग करते हुए चार लाख से अधिक आंदोलनकारी रामभक्तों की गिरफ्तारी और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा को रोकने का विरोध किया गया.
राम मंदिर के लिए कानून बनाने की मांग 2018 में हुए विजयादशमी उत्सव को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राम मंदिर के लिए कानून बनाने की मांग केंद्र सरकार से की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि राम जन्मभूमि के विवाद को बढ़ाने के लिए राजनीतिक दल ही जवाबदार हैं.