मानसून लाएगा खुशखबरी, 98 प्रतिशत होगी बारिश, कोविड से जूझ रही जनता को मौसम विभाग ने दी राहतभरी खबर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 16, 2021 08:51 PM2021-04-16T20:51:27+5:302021-04-16T20:52:30+5:30
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने बताया कि पांच प्रतिशत कम या अधिक की त्रुटि की गुंजाइश के साथ मानसून का दीर्घावधि औसत (एलपीए) 98 प्रतिशत रहेगा.
नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी से जूझ रही जनता को खुशखबरी देते हुए मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने आज बताया कि देश में 75 प्रतिशत से अधिक वर्षा लाने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून के इस वर्ष सामान्य रहने का अनुमान है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने बताया कि पांच प्रतिशत कम या अधिक की त्रुटि की गुंजाइश के साथ मानसून का दीर्घावधि औसत (एलपीए) 98 प्रतिशत रहेगा. राजीवन ने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जून से सितंबर के बीच चार महीने के दौरान बारिश के लिए पूर्वानुमान को जारी किया.
उन्होंने कहा कि ओडिशा, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और असम में सामान्य से कम बारिश होगी, लेकिन देश के शेष हिस्सों में बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक होगी. उन्होंने कहा, ''मानसून दीर्घावधि औसत का 98 प्रतिशत रहेगा, जो कि सामान्य वर्षा है. यह देश के लिए अच्छी खबर है और इससे कृषि क्षेत्र से अच्छे परिणाम मिलेंगे.''
यह खबर कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए भी शुभ है. दक्षिण-पश्चिम मानसून को देश की अर्थव्यवस्था में अहम माना जाता है, क्योंकि अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर काफी हद तक निर्भर करती है. देश का बड़ा हिस्सा कृषि और जलाशयों के भरने के लिए चार महीने तक चलने वाले मानसून के मौसम पर निर्भर करता है.
बरसात के बीते दो मौसम में देश में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. दीर्घावधि औसत के हिसाब से 96-104 प्रतिशत के बीच मानसून को सामान्य माना जाता है. उल्लेखनीय है कि मौसम संबंधी पूर्वानुमान व्यक्त करने वाली निजी एजेंसी 'स्काइमेट वेदर' ने भी हाल में कहा था कि देश में इस वर्ष मानसून सामान्य रहेगा.
हर महीने का पूर्वानुमानः राजीवन ने बताया कि आईएमडी अगले चार महीनों के दौरान महीने-वार पूर्वानुमान भी जारी करेगा. इसके अलावा आईएमडी के चार प्रभागों उत्तर-पश्चिम भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के लिए भी पूर्वानुमान जारी किया जाएगा.
अल नीनो की आशंका कमः ला नीना और अल नीनो कारक भारतीय मानसून पर प्रमुख प्रभाव डालते हैं. इस संबंध में राजीवन ने कहा, ''अल नीनो के बनने की आशंका कम है. हाल के वर्षों में ला नीना के बाद के वर्ष में आमतौर पर सामान्य वर्षा का मौसम देखा गया है.''