IIT दिल्ली ने बनाई विश्व की सबसे सस्ती आरटी-पीसीआर कोरोना टेस्टिंग किट, रिजल्ट 85 मिनट में, परिणाम 100 फीसदी सटीक

By एसके गुप्ता | Published: July 15, 2020 08:26 PM2020-07-15T20:26:54+5:302020-07-15T20:26:54+5:30

इस किट में डाई यानि रंग का इस्तेमाल किया गया है। जिससे यह पूरी तरह मेड इन इंडिया है। आईसीएमआर से अप्रूव इस किट को आईआईटी दिल्ली ने ‘कोरोश्योर कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट‘ नाम दिया है। 

IIT Delhi creates world's cheapest RT-PCR corona testing kit, results in 85 minutes results 100 percent accurate | IIT दिल्ली ने बनाई विश्व की सबसे सस्ती आरटी-पीसीआर कोरोना टेस्टिंग किट, रिजल्ट 85 मिनट में, परिणाम 100 फीसदी सटीक

कोविड-19 की इस चुनौती में देश के आईआईटीज ने अपने अविष्कारिक योगदान से देश का सिर ऊंचा किया है। (file photo)

Highlights‘कोरोश्योर’ टेस्टिंग किट लॉन्च पर कहा कि इस किट से 85 मिनट में कोरोना संक्रमण की जांच कर सौ फीसदी सही रिजल्ट मिलेगा.आईआईटी दिल्ली की टीम की ओर से तैयार की गई यह किट ‘जांच-फ्री’ प्रणाली के तहत यह किट काम करती है।आईआईटी के प्रोफेसर और वायरोलॉजिस्ट प्रो. विवेकानंदन पेरूमल की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने इस अविष्कार से देश का नाम रोशन किया है।

नई दिल्लीः आईआईटी दिल्ली ने विश्व की सबसे सस्ती आरटी-पीसीआर कोरोना टेस्टिंग किट लॉन्च की है। इस किट की खासियत यह है कि फ्लोरोसेंट प्रोब फ्री है।

जिसका उपयोग अन्य किट में बाहर से आयात कर किया जाता है। जबकि इस किट में डाई यानि रंग का इस्तेमाल किया गया है। जिससे यह पूरी तरह मेड इन इंडिया है। आईसीएमआर से अप्रूव इस किट को आईआईटी दिल्ली ने ‘कोरोश्योर कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट‘ नाम दिया है। 

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को ‘कोरोश्योर’ टेस्टिंग किट लॉन्च पर कहा कि इस किट से 85 मिनट में कोरोना संक्रमण की जांच कर सौ फीसदी सही रिजल्ट मिलेगा. वर्तमान समय में कोरोना टेस्टिंग के लिए सैंपलिंग की जाती है और फिर उसका रिजल्ट कई घंटों बाद आता है, जबकि आईआईटी दिल्ली की टीम की ओर से तैयार की गई यह किट ‘जांच-फ्री’ प्रणाली के तहत यह किट काम करती है।

इस अविष्कार से देश का नाम रोशन किया

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस किट को इजाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले आईआईटी के प्रोफेसर और वायरोलॉजिस्ट प्रो. विवेकानंदन पेरूमल की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने इस अविष्कार से देश का नाम रोशन किया है।

कोविड-19 की इस चुनौती में देश के आईआईटीज ने अपने अविष्कारिक योगदान से देश का सिर ऊंचा किया है। आईआईटी ने सस्ते वैंटीलेटर, पीपीई किट, मास्क और अब कोरोना टेस्टिंग किट इजात कर पूरे विश्व को यह दर्शा दिया है कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में अग्रसर है।

 केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमारे देश के वैज्ञानिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया सोच को लेकर आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि आज केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को आईआईटी दिल्ली ने कोरोना टेस्टिंग किट तैयार कर उपहार भेंट किया है।

आईआईटी दिल्ली में किट निर्माण टीम का नेतृत्व कर रहे प्रो. बिस्वजीत कुंडू ने लोकमत से कहा कि बाजार में जितनी भी कोविड टेस्टिंग किट हैं। उससे कई तरह से आईआईटी दिल्ली की किट अलग और पूरी तरह भारत में निर्मित है। इसमें फ्लोरोसेंट प्रोब की जगह डाई यानि कलर का इस्तेमाल किया गया है।

विदेशों से प्रोब आयात करने की जरूरत नहीं है

यह कलर भारत में निर्मित हैं। इसलिए विदेशों से प्रोब आयात करने की जरूरत नहीं है। जिससे किट की कीमत काफी कम हो जाती है और आरटीपीसीआर किट से कोरोना टेस्टिंग का रिजल्ट 100 फीसदी सटीक आता है। दूसरी बात इस किट की कीमत 399 रुपए निर्माता कंपनी ने निर्धारित की है। इसके अलावा किट से पहले आरएनए निकालने में करीब 150 रुपए का खर्च आएगा। इसके बाद स्वैब निकालने की प्रक्रिया और इसमें लगे व्यक्ति की मेहनत का आंकलन अगर 100 रुपए प्रति टेस्टिंग भी रखा जाएगा तो कुल मिलाकर 650 रुपए में कोरोना का टेस्ट इस आरटीपीसीआर किट से हो सकेगा।

क्योंकि कैपिंग के बाद भी मुंबई में कोरोना की टेस्टिंग 2200 रुपए और दिल्ली में 2400 रुपए निर्धारित है। तीसरी और महत्वपूर्ण बात यह कि इस किट से कोरोना टेस्टिंग के परिणाम 24 घंटे में नहीं बल्कि 85 से 90 मिनट यानि डेढ़ घंटे में आ जाएंगे। आईआईटी दिल्ली देश का पहला ऐसा शिक्षण संस्थान है, जिसकी किट कोरोना टेस्टिंग के उपयोग में लाई जाएगी। कुसुमा स्कूल ऑफ बॉयोलोजिकल साइंसेज की लैब में इस तकनीक को विकसित किया गया है। इस किट को बनाने का काम जनवरी 2020 में शुरू हुआ।

मार्च 2020 में यह बनकर तैयार हो गई और अप्रैल में आईसीएमआर से किट को अप्रूवल मिल गई थी। इसके बाद अस्पतालों में और कंपनियों की ओर से टेस्टिंग और नियामक संस्थाओं से बाजार में लाने के लिए वक्त लगा। आईआईटी दिल्ली ने इस किट के निर्माण और बाजार में लाने के लिए 9 कंपनियों के साथ करार किया है।

इसमें पहली क्योरोश्योर किट निर्माता कंपनी के फांउडर जतिन गोयल ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा उनकी क्षमता 20 लाख किट प्रतिमाह निर्माण की है। उन्हें कोयम्बटूर और हरियाणा सहित कई राज्यों के मेडिकल कॉलेज और लैब से फोन आ रहे हैं। कुछ फोन अफ्रीका, बंग्लादेश और नेपाल सहित सार्क देशों से आ रहे हैं। लेकिन अभी इस किट के निर्यात पर पाबंदी है।

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