आईआईटी परिषद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े मुद्दों पर चार कार्य समूहों का गठन किया
By भाषा | Published: February 22, 2021 10:45 PM2021-02-22T22:45:29+5:302021-02-22T22:45:29+5:30
नयी दिल्ली, 22 फरवरी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) परिषद ने श्रेणीबद्ध स्वायत्तता, सशक्त और जवाबदेह संचालक बोर्ड (बीओजी), अकादमिक सुधार, नये वित्त पोषण मंत्र सहित नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श के लिये सोमवार को चार कार्य समूहों का गठन किया ।
इस आशय का निर्णय केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई आईआईटी परिषद की बैठक में किया गया।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि आईआईटी परिषद की स्थायी समिति के अध्यक्ष की अनुशंसा के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी-2020) से संबंधित विभिन्न विषयों पर विचार-विर्मश के लिए चार कार्य समूहों का गठन किया गया ।
इन कार्य समूहों में पहला श्रेणीबद्ध स्वायत्तता, सशक्त और जवाबदेह बीओजी और निदेशक से संबंधित है । दूसरा कार्य समूह आईआईटी के निदेशक पद के लिए प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को तैयार करने, तीसरा अकादमिक सीनेट में सुधार और पुनर्गठन विषय पर, और चौथा कार्य समूह नये वित्त पोषण तंत्र से संबंधित है ।
इन सभी समूहों और फैकल्टी विकास पर काम करने वाले एक अन्य समूह की रिपोर्ट को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि परिषद् की बैठक में ऑनलाइन आईआईटी अनुसंधान एवं विकास मेले का आयोजन करने पर भी विचार किया गया, ताकि देशभर में आईआईटी द्वारा किए जा रहे गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों का प्रदर्शन उद्योग जगत के समक्ष किया जा सके।
बैठक में कृत्रिम बुद्धिमता, क्लाउड कंप्युटिंग आदि के माध्यम से सभी आईआईटी में डिजिटल परिवर्तन लाने पर भी चर्चा की गई। इस दौरान सभी आईआईटी में प्रौद्योगिकी के उपयोग की समीक्षा करने और आईआईटी में डिजिटल उपकरणों को स्थापित करने के काम को गति देने के लिए एक कार्यबल का गठन करने की अनुशंसा की गई।
बैठक में निशंक ने आईआईटी प्रमुखों से कहा कि वे आईआईटी और उद्योगों के बीच फैकल्टी और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020के अनुरूप राष्ट्रीय विकास योजना विकसित करें।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी संस्थानों और उद्योगों के बीच फैकल्टी सदस्यों और उद्योग विशेषज्ञों के आदान-प्रदान से उद्योग और अकादमिक जगत के बीच सहयोग बढ़ेगा।
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