IIM रोहतक के निदेशक नियमानुसार पद के काबिल नहीं थे, केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में किया स्वीकार
By विशाल कुमार | Published: March 17, 2022 08:11 AM2022-03-17T08:11:36+5:302022-03-17T10:28:18+5:30
सोमवार को शिक्षा मंत्रालय ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया था कि धीरज शर्मा को ग्रेजुएट स्तर पर द्वितीय श्रेणी हासिल करने के बावजूद आईआईएम-रोहतक का प्रमुख बनाया गया था। इस नियुक्ति के लिए प्रथम श्रेणी की डिग्री अनिवार्य शर्त है।
नई दिल्ली: बार-बार इनकार करने के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने अदालत में स्वीकार किया है कि एक आईआईएम निदेशक जिसे उसने नियुक्त किया था, वह न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मानदंड को पूरा नहीं करता था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार यह बात तब स्वीकार की है जब विचाराधीन व्यक्ति ने पिछले महीने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया और इस साल 28 फरवरी को उनके दूसरे कार्यकाल को भी मंजूरी मिल गई।
सोमवार को शिक्षा मंत्रालय ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया था कि धीरज शर्मा को ग्रेजुएट स्तर पर द्वितीय श्रेणी हासिल करने के बावजूद आईआईएम-रोहतक का प्रमुख बनाया गया था।
बता दें कि, इस नियुक्ति के लिए प्रथम श्रेणी की डिग्री अनिवार्य शर्त है। शर्मा ने इस साल 9 फरवरी को अपना पहला कार्यकाल पूरा किया था।
इंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले सितंबर, 2021 में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पिछले साल तीन पत्र लिखकर मांगे जाने के बावजूद शर्मा ने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री नहीं मुहैया कराई थी।
शर्मा की नियुक्ति को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि निदेशक ने अन्य बातों के अलावा अपनी शैक्षणिक योग्यता को गलत तरीके से पेश किया और वह पद पर बने रहने के अयोग्य हैं।
इस बीच, शिक्षा मंत्रालय लगातार शर्मा की नियुक्ति का बचाव करता रहा। अब हलफनामे में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय अब पूछताछ कर रहा है कि शर्मा को कैसे नियुक्त किया गया और जिम्मेदारी तय की जाएगी।