इहबास बेहतर संस्थान, चिकित्साकर्मियों की कमी की वजह से इसे बर्बाद नहीं करें : उच्च न्यायालय
By भाषा | Published: March 1, 2021 07:52 PM2021-03-01T19:52:09+5:302021-03-01T19:52:09+5:30
नयी दिल्ली, एक मार्च इहबास यहां के बेहतर संस्थानों में से एक है जिसकी देखरेख होनी चाहिए और चिकित्साकर्मियों की कमी के चलते इसे बर्बाद नहीं होने देना चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को जल्द रिक्तियां भरने का निर्देश देते हुए सोमवार को यह टिप्पणी की।
उच्च न्यायालय को दिल्ली सरकार के वकील ने आश्वस्त किया कि दो महीने में काफी प्रगति होगी। अदालत ने अधिकारियों से अप्रैल के अंत तक अनुपालन रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा।
न्यायमूर्ति नाजमी वजीरी ने दिल्ली सरकार और मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) को नोटिस जारी किया और उनसे जवाब देने के लिए कहा। वह एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें उच्च न्यायालय की खंडपीठ के निर्देशों का अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर जानबूझकर अवहेलना करने के लिए अवमानना कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। खंडपीठ ने संस्थान में चिकित्सकों की कमी के मुद्दे से निपटने का निर्देश दिया था।
खंडपीठ ने पिछले वर्ष एक सितंबर को आदेश में कहा था कि उसे उम्मीद है कि संबंधित अधिकारी जल्द से जल्द रिक्तियों को भरेंगे।
उच्च न्यायालय सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्होंने कहा कि इहबास में 75 फीसदी से अधिक चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों के पद खाली हैं जिस कारण मानसिक एवं क्लीनिकल मनोरोग के शिकार मरीजों को लंबे समय से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
खबरों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इहबास में 103 संकाय सदस्यों/चिकित्सक के पदों में से केवल 25 संकाय सदस्य काम कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों की कमी के कारण विभागाध्यक्ष भी सहायक प्रोफेसर का काम करने के लिए बाध्य हैं।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति वजीरी ने कहा कि इहबास हमारे बेहतर संस्थानों में शामिल है, लेकिन चिकित्साकर्मियों की कमी की वजह से व्यवस्था खराब नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इसकी देखरेख करें न कि इससे बर्बाद होने दें।
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