यदि सुप्रीम कोर्ट की ईमानदारी दांव पर होगी तो मैं त्याग करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगाः न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा

By भाषा | Published: October 15, 2019 03:52 PM2019-10-15T15:52:15+5:302019-10-15T15:52:15+5:30

न्यायमूर्ति मिश्रा ने मंगलवार को इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘यदि इस संस्थान की ईमानदारी दांव पर होगी तो मैं त्याग करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा। मैं पूर्वाग्रही नहीं हूं और इस धरती पर किसी भी चीज से प्रभावित नहीं होता हूं। यदि मैं इस बात से संतुष्ट होऊंगा कि मैं पूर्वाग्रह से प्रभावित हूं तो मैं स्वयं ही इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लूंगा।’’

If the honesty of the Supreme Court is at stake, then I will be the first to give up: Justice Arun Mishra | यदि सुप्रीम कोर्ट की ईमानदारी दांव पर होगी तो मैं त्याग करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगाः न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि सवाल यह है कि क्या हम संविधान पीठ में बैठ सकते हैं, हालांकि हमने ही इस मामले को वृहद पीठ के पास भेजा था।

Highlightsसुनवाई से न्यायाधीश के हटने के लिये सोशल मीडिया पर अभियान चलाने पर न्यायालय का कड़ा रुख।मिश्रा भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों की व्याख्या के लिये गठित पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों की व्याख्या के लिए गठित संविधान पीठ से हटाने के लिए सोशल मीडिया और खबरों में चलाए जा रहे अभियान पर मंगलवार को नाराजगी व्यक्त की और कहा कि यह किसी न्यायाधीश विशेष के खिलाफ नहीं बल्कि संस्थान की छवि धूमिल करने का प्रयास है।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों की व्याख्या के लिये गठित पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं। किसानों के संगठन सहित कुछ पक्षकारों ने न्यायिक नैतिकता के आधार पर न्यायमूर्ति मिश्रा से सुनवाई से हटने का अनुरोध करते हुये कहा है कि संविधान पीठ उस फैसले के सही होने के सवाल पर विचार कर रही है जिसके लेखक वह खुद हैं।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल छह मार्च को कहा था कि समान सदस्यों वाली उसकी दो अलग-अलग पीठ के भूमि अधिग्रहण से संबंधित दो अलग-अलग फैसलों के सही होने के सवाल पर वृहद पीठ विचार करेगी। न्यायमूर्ति मिश्रा ने मंगलवार को इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘यदि इस संस्थान की ईमानदारी दांव पर होगी तो मैं त्याग करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा। मैं पूर्वाग्रही नहीं हूं और इस धरती पर किसी भी चीज से प्रभावित नहीं होता हूं। यदि मैं इस बात से संतुष्ट होऊंगा कि मैं पूर्वाग्रह से प्रभावित हूं तो मैं स्वयं ही इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लूंगा।’’

उन्होंने पक्षकारों से कहा कि वह उन्हें इस बारे में संतुष्ट करें कि उन्हें इस प्रकरण की सुनवाई से खुद को क्यों अलग करना चाहिए। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘मेरे दृष्टिकोण के लिये मेरी आलोचना हो सकती है। हो सकता है कि मैं एक हीरो नहीं हूं और हो सकता है कि मैं एक कलुषित व्यक्ति हूं लेकिन यदि मैं संतुष्ट हूं कि मेरा जमीर साफ है तो ईश्वर के समक्ष मेरी निष्ठा स्पष्ट है तो मैं टस से मस नहीं होऊंगा। यदि मैं सोचूंगा कि मैं बाहरी तथ्यों से प्रभावित हो सकता हूं तो मैं सुनवाई से हटने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।’’

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि सवाल यह है कि क्या हम संविधान पीठ में बैठ सकते हैं, हालांकि हमने ही इस मामले को वृहद पीठ के पास भेजा था। यह फैसले के खिलाफ अपील नहीं है जिसका मैं एक हिस्सा था। मैं अपना दृष्टिकोण बदल सकता हूं या इसमें सुधार कर सकता हूं, यदि मुझे इसके लिये राजी किया जाये।

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही कुछ पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश ने उस निर्णय पर हस्ताक्षर किये थे जिसके सही होने के मुद्दे पर यह पीठ विचार कर रही है, इसमें पक्षपात का तत्व हो सकता है।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यामयूर्ति इन्दिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट शामिल हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा वह फैसला सुनाने वाली पीठ के सदसय थे जिसने कहा था कि सरकारी एजेन्सियों द्वारा किया गया भूमि अधिग्रहण भू स्वामी द्वारा मुआवजे की राशि स्वीकार करने मे पांच साल तक का विलंब होने के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। 

Web Title: If the honesty of the Supreme Court is at stake, then I will be the first to give up: Justice Arun Mishra

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