महाराष्ट्रः अगर राज्यपाल ने तय समय सीमा से पहले राष्ट्रपति शासन लगाया तो उद्धव ठाकरे खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
By रामदीप मिश्रा | Published: November 12, 2019 02:44 PM2019-11-12T14:44:19+5:302019-11-12T14:44:19+5:30
महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर हुए चुनावों में 105 सीटें जीतते हुए बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राज्य के चुनाव में शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। इसके अलावा राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं।
महाराष्ट्र में सत्ता पर काबिज होने के लिए चल रहा सियासी ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की सुर्खियां जोर पकड़ रही हैं। वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि अगर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा दी गई तय समय सीमा से पहले राष्ट्रपित शासन की घोषणा की गई तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बता दें, बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल ने एनसीपी को 24 घंटे का समय दिया है। यह समय आज रात साढ़े आठ बजे खत्म हो रहा है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि अगर महाराष्ट्र के राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाते हैं, तो शिवसेना सुप्रीम उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। उद्धव ठाकरे ने कपिल सिब्बल और अहमद पटेल से बातचीत की है।
Sources: If the Maharashtra Governor imposes President Rule in the state, Shiv Sena can approach Supreme Court. Uddhav Thackeray has talked to Kapil Sibal and Ahmed Patel over the issue. pic.twitter.com/C8t1ZpqH8f
— ANI (@ANI) November 12, 2019
इधर, कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल के मुताबिक आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शरद पवार से बात की है और उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और खुद वेणुगोपाल को शरद पवार से आगे की बातचीत के लिए मुंबई जाने को कहा है। ये तीनों नेता आज पवार से मिलेंगे।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर हुए चुनावों में 105 सीटें जीतते हुए बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राज्य के चुनाव में शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। इसके अलावा राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों का समर्थन जरूरी है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान खत्म हो चुकी है। दोनों पार्टियों ने गठबंधन कर एकसाथ चुनाव लड़ा और एनडीए को बहुमत भी प्राप्त हुआ, लेकिन शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए 50:50 का फार्मूला चाहती थी, लेकिन बीजेपी इस पर तैयार नहीं हुई।