न्याय तक लोकतांत्रिक तरीके से पहंच सुनिश्चित करने के लिये आईसीटी उपकरणों का इस्तेमाल हो : न्यायालय

By भाषा | Published: November 27, 2020 07:30 PM2020-11-27T19:30:16+5:302020-11-27T19:30:16+5:30

ICT tools should be used to ensure democratic access to justice: Court | न्याय तक लोकतांत्रिक तरीके से पहंच सुनिश्चित करने के लिये आईसीटी उपकरणों का इस्तेमाल हो : न्यायालय

न्याय तक लोकतांत्रिक तरीके से पहंच सुनिश्चित करने के लिये आईसीटी उपकरणों का इस्तेमाल हो : न्यायालय

(आंकड़ों में सुधार के साथ रिपीट)

नयी दिल्ली 27 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से कहा कि लोकतांत्रिक और समान रूप से न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिक (आईसीटी) उपकरणों का इस्तेमाल किया जाये। शीर्ष अदालत ने कहा कि नेशनल न्यूडीशियल डाटा ग्रिड के अनुसार इस समय 91 हजार (रिपीट हजार) से ज्यादा जमानत याचिकायें सिर्फ उच्च न्यायालयों में ही लंबित हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और जिलों के प्रशासनिक न्यायाधीशों को अपनी प्रशासनिक हैसियत से जमानत आवेदनों की संस्थागत समस्या के समाधान के लिये आईसीटी का इस्तेमाल करना चाहिए और लंबित मामलों की निगरानी करना चाहिए क्योंकि ‘‘आजादी कुछ के लिये ही उपहार नहीं है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों को आपराधिक न्याय प्रणाली के इस बुनियादी नियम को लागू करना चाहिए कि ‘जेल नहीं बेल’ परपंरा है।

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने 2018 के आत्महत्या के लिये उकसाने के मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और दो अन्य की अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाते हुये अपने फैसले में यह सुझाव दिये।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत प्रदान करना न्याय प्रणाली की दयालुता की अभिव्यक्ति है और इसके साथ ही उसने नेशनल ज्यूडीशियल डाटा ग्रिड के आंकड़ों का हवाला दिया जिनके अनुसार उच्च न्यायालयों में जमानत की 91,568 (रिपीट 91,568) अर्जियां लंबित हैं।

फैसले में कहा गया है कि इसके अलावा रिट याचिका, अपील, पुनरीक्षण और आवेदन से संबंधित 12,66,133 आपराधिक मामले भी उच्च न्यायालय में लंबित हैं।

न्यायालय ने कहा कि जिला अदालतों में 1,96,861 जमानत के आवेदन लंबित है और जिला न्यायाधीशों को निगरानी के लिये आईसीटी उपकरणों का इस्तेमाल करने की जरूरत है ताकि सभी को न्याय मिल सके।

शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अपनी प्रशासनिक हैसियत से आइसीटी उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए जो न्याय तक पहुंच को लोकतांत्रिक और समान रूप से आबंटित करने के लिये उन्हें उपलब्ध कराये गये हैं।

नेशनल ज्यूडीशियल डाटा ग्रिड के आंकड़े यह स्पष्ट बता रहे हैं कि देश भर में अदालतों के लिये जमानत आवेदनों पर सुनवाई नहीं होने की संस्थागत समस्या के समाधान और इनके तेजी से निबटारे की जरूरत है।

पीठ ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता सिर्फ कुछ लोगों के लिये उपहार नहीं है। जिलों के प्रभारी प्रशासनिक न्यायाधीशों को लंबित मामलों की निगरानी के लिये जिला न्यायपालिका के साथ इस सुविधा का इस्तेमाल करना चाहिए।

आपराधिक न्याय प्रणाली के बुनियादी नियम ‘‘जेल नहीं, बेल’ का जिक्र्र करते हुये शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों और जिला न्यायपालिका की अदालतों को इस सिद्धांत को व्यवहार में लागू करना चाहिए और हमेशा शीर्ष अदालत को ही इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नही पड़नी चाहिए।

पीठ ने कहा कि जब निचली अदालत अग्रिम जमानत या जमानत देने से इंकार करती है तो इसका बोझ उच्च न्यायालय पर पड़ता है और उच्च न्यायालय द्वारा राहत देने से इंकार करने पर यह समस्या उच्चतम न्यायालय तक चलती रहती है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने उस मामले में अपनी नाराजगी व्यक्त की है जिसमे एक नागरिक इस न्यायालय में आया था। हमने उन सिद्धांतों को दोहराने के लिये ऐसा किया है जो उन अनगिनित प्रभावित चेहरों के बारे में है जिनकी आवाज अनसुनी नहीं रहनी चाहिए।

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