बुरका बैन के बाद उडुपी में सैकड़ों मुस्लिम लड़कियां नहीं जा रही हैं कॉलेज

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 21, 2022 09:39 PM2022-03-21T21:39:36+5:302022-03-21T21:45:25+5:30

पिछले हफ्ते कर्नाटक हाईकोर्ट ने कक्षा में छात्राओं के बुरके पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखा है। यही कारण है कि अफसाना जैसी तमाम मुस्लिम लड़कियां बुरके के बिना कक्षाओं में नहीं जा पा रही हैं।

Hundreds of Muslim girls are not going to college in Udupi after burqa ban | बुरका बैन के बाद उडुपी में सैकड़ों मुस्लिम लड़कियां नहीं जा रही हैं कॉलेज

सांकेतिक तस्वीर

Highlightsअफसाना कहती हैं कि मैं यह सोचकर कॉलेज आई थी कि कोई हल निकलेगा तो हम कक्षा में जा पाएंगेमुझे लगा प्रिंसिपल इस सेशन की पढ़ाई पूरी करने में मदद करेंगे लेकिन हमें कोई राहत नहीं मिली बुरका प्रतिबंध के बाद कई मुस्लिम छात्राएं कॉलेज छोड़ने पर विचार कर रही हैं

उडुपी: दोपहर के करीब 12 बजे है। अफसाना अपने कॉलेज के गेट के बाहर खड़ी होती है और सूरज ठीक उसके सिर के ऊपर है। कॉलेज में  कक्षा का यह तीसरा घंटा है और वह खिड़की से अपने साथ पढ़ने वाले सहपाठियों के चेहरे देख रही है।

लगभग 20 साल की अफसाना पियाजी और उनकी चार सबसे करीबी दोस्त कक्षा के बाहर हैं। अफसाना कहती हैं, "हमें हमारे प्रिंसिपल ने कहा कि कॉलेज के बाहर जाओ और दूसरे बच्चों को परेशान करना बंद करो।" ऐसा इसलिए क्योंकि जब से कॉलेज की कक्षाओं में बुरका पहनने पर पाबंदी लगी है तब से वह अपनी कक्षा में नहीं गई है।

पिछले हफ्ते कर्नाटक हाईकोर्ट ने कक्षा में छात्राओं के बुरके पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखा है। यही कारण है कि अफसाना जैसी तमाम मुस्लिम लड़कियां बुरके के बिना कक्षाओं में नहीं जा पा रही हैं।

अफसाना कहती हैं, ''मैं यह सोचकर कॉलेज आई थी कि कोई हल निकलेगा। कोई उपाय होगा इसका। अभी-अभी मैंने सेमेस्टर परीक्षा की फीस 730 रुपये भरी है। मुझे लगा कि प्रिंसिपल इस सेशन में पढ़ाई पूरी करने में हमारी मदद करेंगे।"

अदालत द्वारा बुरका पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के बाद कुछ छात्राएं अपने कॉलेज छोड़ने की संभावनाओं के बारे में सोच रही हैं। वहीं कुछ अपना बुरका उतारकर परीक्षा लिखने की योजना बना रही हैं।

शंकर विमेंस फर्स्ट ग्रेड कॉलेज की एक छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "मैं तीसरे साल की स्टूडेंट हूं और अगर मैं बुरके कारण परीक्षा नहीं देती हूं तो मेरे तीन साल बर्बाद हो जाएंगे।"

वहीं उसके बगल में बैठी 20 साल की एक अन्य छात्रा अफरा अजमल असदी कॉलेज को छोड़ने की योजना बना रही हैं। अफरा कहती हैं, "हम क्लास में एक ही बेंच पर बैठते थे और अपना खाली समय एक साथ बिताते थे, लेकिन इस (बुरका) पर मैं समझौता नहीं कर सकती और अब मैं एक वैकल्पिक कॉलेज या ऑनलाइन कोर्स की तलाश करूंगी।"

हिजाब प्रतिबंध के लागू होने से उडुपी में मुस्लिम छात्राओं को कॉलेजों छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं कुछ परिवार शिक्षा के लिए दूसरे शहर में जाने की योजना बना रहे हैं। उडुपी में महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) कॉलेज में बीएससी की छात्रा के पिता मोहम्मद अली कहते हैं, "हम अपनी बेटी कॉलेज में पढ़ाई जारी रखने कते लिए मंगलुरु जाने के बारे में सोच रहे हैं, जहां हिजाब की साथ कक्षा में पढ़ने की अनुमति है।"

वहीं मोहम्मद अली की बेटी कहती हैं, “जिस दिन हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, उस दिन मैं टीवी देखने से डर गई थी। लेकिन मैं एक ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ी हूं, जहां से पता चला कि कुछ ऐसे कॉलेज हैं, जहां हमारे जैसे छात्राओं को बुरका पहनकर कक्षा में जाने की आजादी होगी।”

उन्होंने बताया, "कॉलेज में मेरे जैसी कुल 58 छात्राएं हैं, जिन्होंने कॉलेज के प्रिंसिपल से संपर्क कर अपनी परीक्षा लिखने की अनुमति मांगी है। छात्राएं प्रिंसिपल से मांग कर रही हैं कि उन्हें एक अलग कमरे में बैठाकर परीक्षा लिखने की अनुमति दी जाए।"

उन्होंने कहा, "अगर हमें महिला शिक्षिका के साथ अलग कमरे में बैठकर परीक्षा देने की इजाजत मिलती है तो हम बुरका उतारने को तैयार हैं। लेकिन कॉलेज ने हमारी इस मांग को भी ठुकरा दिया। मैं बिना बुरके के कक्षा में जाने की कल्पना नहीं कर सकती।" 

कुरान में लिखे दो छंदों की ओर इशारा करते हुए वो कहती हैं कि कुरान में हिजाब का उल्लेख है और मैं इसे हमारे विश्वास का एक आवश्यक हिस्सा मानती हूं।

अफसाना जैसे छात्राओं की परेशानी है कि निजी संस्थानों में बुरका पर प्रतिबंध न होने के बावजूद वो उसमें नहीं जा सकती हैं क्योंकि अफसाना की सरकारी कॉलेज में 3,000 रुपये की मामूली फीस के लिए भी उसे अपने चाचा से मदद लेनी होती है।

अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए अफसाना कहती हैं, ''अगर मैं अपना मौजूदा सरकारी कॉलेज का कोर्स छोड़ देती हूं, तो मेरी पढ़ाई छूट जाएगी क्योंकि मैं निजी कॉलेजों की फीस नहीं चुका पाऊंगी।''

कुंडापुर और बैंदूर सहित जिले भर के कॉलेजों में पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियों की लगभग यही स्थिति है। कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि पिछले हफ्ते कुंडापुर और बैंदूर में बड़ी संख्या में मुस्लिम लड़कियों की कक्षा या परीक्षा छूट गई थी।

जानकारी के मुताबिक कुंडापुर के आरएन शेट्टी कम्पोजिट पीयू कॉलेज में पिछले सप्ताह 56 मुस्लिम लड़कियों में से केवल 1 ने परीक्षा में भाग लिया। इसी तरह बैंदूर गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में 16 मुस्लिम लड़कियों में से केवल 1 ने ही कक्षाओं में भाग लिया।

साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 11.7 लाख की आबादी वाले उडुपी जिले में केवल 8.22 फीसदी मुस्लिम आबादी है। दक्षिण कन्नड़ के पड़ोसी जिले में जिसकी आबादी उडुपी से लगभग दोगुनी है। वहां पर मुसलमानों की आबादी 24 फीसदी है। मुस्लिम समूहों का कहना है कि उडुपी की तुलना में मुस्लिमों की अधिक आबादी वाले जिलों में भी उनके सामने यही समस्या आ रही है।

दक्षिण कन्नड़ के उप्पिनंगडी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में शुक्रवार को 231 मुस्लिम छात्राओं को प्रारंभिक परीक्षा में जब यह जानकारी दी गई कि उन्हें बुरका पहनने से प्रतिबंधित किया जाएगा तो मुस्लिम लड़कियों ने इसका काफी विरोध किया और इस विरोध में मुस्लिम लड़कों ने भी उनका साथ दिया। 

Web Title: Hundreds of Muslim girls are not going to college in Udupi after burqa ban

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