बुराड़ी के मैदान में जुटे सैकड़ों किसान, नारों, गीतों व ढोल-नगाड़ों से गूंजा मैदान

By भाषा | Published: November 28, 2020 04:26 PM2020-11-28T16:26:36+5:302020-11-28T16:26:36+5:30

Hundreds of farmers, slogans, songs and drums gathered in Burari field | बुराड़ी के मैदान में जुटे सैकड़ों किसान, नारों, गीतों व ढोल-नगाड़ों से गूंजा मैदान

बुराड़ी के मैदान में जुटे सैकड़ों किसान, नारों, गीतों व ढोल-नगाड़ों से गूंजा मैदान

नयी दिल्ली, 28 नवंबर नारे लगाते हुए, गीत गाते हुए और लाल, हरे और नीले रंग के झंडे लेकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे विभिन्न समूहों और राज्यों के लगभग 400 किसान शनिवार को उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी स्थित मैदान में एकत्रित हुए, जहाँ सरकार ने उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी है।

लगातार तीन दिनों से दिल्ली के विभिन्न सीमा क्षेत्रों में डटे हजारों किसानों में से कई ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश किया और महानगर के सबसे बड़े मैदानों में से एक निरंकारी मैदान में इकट्ठा हुए।

ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से आए हैं, जबकि कुछ मध्य प्रदेश और राजस्थान के भी हैं। ये किसान ट्रकों और ट्रैक्टरों से यहां पहुंचे।

‘‘धरती माता की जय’’, 'नरेंद्र मोदी किसान विरोधी' और 'इंकलाब जिंदाबाद' जैसे नारे, उड़ती धूल से भरे विशाल मैदान के विभिन्न हिस्सों से सुने जा सकते हैं। कुछ किसान नेताओं ने भाषण दिए, किसानों ने ढोल बजाकर नृत्य किया और ‘‘हम होंगे कामयाब’’ गीत भी सुनाई दिया।

हंगामे के बीच किसान अपनी बात रखने के लिए दृढ़ हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के सदस्य "चाहे कुछ भी कर लो, हम बढ़ते जाएंगे’’ गाते रहे।

बंगला साहिब गुरुद्वारे ने प्रदर्शनकारियों को खाना खिलाने के लिए 'लंगर' की व्यवस्था की है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने भी भोजन की व्यवस्था की है। कोविड-19 महामारी और मास्क पहनने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ई-रिक्शा से प्रचार किया गया।

बुराड़ी में पुरुषों और महिलाओं के एक समूह के साथ पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा, ‘‘किसानों की अभूतपूर्व एकता, किसान विरोधी तीन कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी।’’

उन्होंने कहा कि यह एक विकेन्द्रीकृत आंदोलन है और विरोध देश में अन्याय के खिलाफ हो रहा है।

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली खत्म हो सकती है और उन पर देश के बड़े कॉर्पोरेट घरानों का नियंत्रण हो जाएगा।

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Web Title: Hundreds of farmers, slogans, songs and drums gathered in Burari field

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