Home Ministry: नीतीश जी रिपोर्ट भेजिए, बांग्लादेशी शरणार्थियों की खोज कर डाटा बताए?, बांग्लादेश हालात को देखते हुए महत्वपूर्ण!
By एस पी सिन्हा | Published: September 12, 2024 04:36 PM2024-09-12T16:36:58+5:302024-09-12T16:38:14+5:30
Home Ministry: बिहार में रह रहे बांग्लादेशी शरणार्थियों की पहचान कर बांका, भोजपुर, औरंगाबाद, जमुई, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, नवगछिया, सहरसा, कटिहार और शेखपुरा के द्वारा रिपोर्ट सौंप दी है।
पटनाः केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बिहार में रह रहे बांग्लादेशी शरणार्थियों की रिपोर्ट राज्य सरकार से मांगी है। इसमें कहा गया कि दिसंबर 1971 से बिहार में रह रहे बांग्लादेशी शरणार्थियों की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजा जाए। मंत्रालय ने भागलपुर और राजधानी पटना सहित सभी जिलों को बांग्लादेशी शरणार्थियों की खोज कर उनकी रिपोर्ट तैयार कर भेजने को कहा है। उक्त शरणार्थियों का पता चलने के बाद मुख्यालय के स्तर से रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार में रह रहे बांग्लादेशी शरणार्थियों की पहचान कर बांका, भोजपुर, औरंगाबाद, जमुई, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, नवगछिया, सहरसा, कटिहार और शेखपुरा के द्वारा रिपोर्ट सौंप दी है।
जबकि पटना के अलावा अररिया, अरवल, भागलपुर, बक्सर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गया, गोपालगंज, कैमूर (भभुआ), कटिहार, किशनगंज, खगड़िया, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नवादा, नालंदा पूर्णिया, रोहतास, शिवहर, सारण, सीतामढ़ी, वैशाली, मधुबनी और पश्चिमी चंपारण के द्वारा अभी तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है।
बता दें कि बांग्लादेशी शरणार्थियों की खोज के दौरान उनका नाम, जहां रह रहे हैं वहां का पता, उनके परिवार के सदस्यों का ब्योरा और उनके जीवन यापन यानी कार्य को लेकर भी ब्योरा इकट्ठा किया जा रहा है। बांग्लादेश के वर्तमान हालात को देखते हुए भी इस रिपोर्ट को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम 1971 में शुरू हुआ। बांग्लादेश में खून की नदियां बही, लाखों बंगाली मारे गये। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएससीआर) के अनुसार यह कहा गया था कि 1971 के खूनी संघर्ष में अनुमानत एक करोड़ बांग्लादेशी शरणार्थी भारत आए।
भारत को बांग्लादेशियों के अनुरोध पर इस समस्या में हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके फलस्वरूप 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हुआ। पाकिस्तानी सेना ने अंतत: 16 दिसम्बर 1971 को भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। यही वजह है कि दिसंबर 1971 से बिहार में रह रहे बांग्लादेशी शरणार्थियों की खोज की जा रही है।