केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर के निर्यात पर प्रतिबंध जारी
By भाषा | Published: May 6, 2020 09:36 PM2020-05-06T21:36:12+5:302020-05-06T21:36:12+5:30
देश में कोरोना कहर को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। मोदी सरकार ने अल्कोहल वाले सैनिटाइजर का निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस समय महामारी के कारण इसकी मांग बढ़ गई है।
नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को कहा कि अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा। कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने में अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर को काफी प्रभावी माना जा रहा है।
हालांकि, अब उद्योग बिना अल्कोहल वाले सैनिटाइजर का निर्यात कर सकेगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। डीजीएफटी ने अपनी 24 मार्च की अधिसूचना में संशोधन करते हुए कहा है कि अब सिर्फ अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर के निर्यात पर प्रतिबंध रहेगा।
24 मार्च की अधिसूचना में सभी हैंड सैनिटाइजर के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था। कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में हैंड सैनिटाइजर और फेस मास्क की कमी हो गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का निर्यात प्रतिबंधित रहेगा। सैनिटाइजर कीटाणुनाशक के रूप में काम करता है। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। एक अनुमान के अनुसार भारत ने 2018-19 में 48.5 करोड़ डॉलर के सैनिटाइजर का निर्यात किया था।
कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में हैंड सैनिटाइजर की मांग काफी बढ़ गई है। देश में हैंड सैनिटाइजर की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। अधिसूचना में कहा गया है कि अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का निर्यात प्रतिबंधित कर दिया गया है। सैनिटाइजर कीटाणुनाशक के रूप में काम करता है। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलती है।
उभरते क्षेत्र के लिये ढांचागत सुधारों के पैकेज पर काम कर रही सरकार: कांत
सरकार भारत को एक बड़े वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केन्द्र के रूप में बदलने के लिये उभरते क्षेत्रों में ढांचागत सुधारों के मामले में एक पैकेज पर काम कर रही है। नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने यह कहा।
अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (आइमा) द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के कोविड-19 बाद के परिदृश्य पर आयोजित आनलाइन परिचर्चा सत्र में उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आवागमन, जिनोमिक्स, कृत्रिम मेधा, 5जी नेटवर्क, वित्तीय प्रौद्योगिकी और विनिर्माण को बुनियादी ढांचागत सुधारों के मामले में त्वरित और उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र बताया।
आइमा के यहां जारी वक्तव्य में कांत के हवाले से कहा गया है, ‘‘ये वृद्धि के नये क्षेत्र हैं जिनमें आने वाले समय में तीव्र बदलाव होना जरूरी लगता है और जिनमें गति, आकार और व्यापक पैमाने की की जरूरत होगी।’’ कांत ने कहा कि कोविड-19 के बाद की अवधि में सरकार के लिये विनिर्माण एक महत्वपूर्ण ध्यान देने वाला क्षेत्र होगा क्योंकिं भारत चीन में आपूर्ति श्रृंखला में आ रहे व्यावधान का लाभ उठाना चाहता है।