गृहमंत्री अमित शाह को मिलेगा अटल बिहारी वाजपेयी का आवास, निधन के बाद हुआ था खाली
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 6, 2019 10:55 PM2019-06-06T22:55:21+5:302019-06-06T22:55:21+5:30
बतौर गृह मंत्री, शाह की सुरक्षा जरूरतों के मुताबिक इस बंगले को अगले एक महीने में तैयार कर दिया जाएगा. बंगले पर तैनात कर्मचारियों ने बताया कि शाह स्वयं बंगले का मुआयना कर जरूरत के मुताबिक मरम्मत आदि के काम का जायजा ले चुके हैं.
नवनियुक्त केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी का कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला आवंटित किया गया है. केंद्रीय मंत्रियों को आवंटित होने वाले 'टाइट 8' श्रेणी के इस बंगले में फिलहाल जरूरी मरम्मत का काम चल रहा है. वाजपेयी, 2004 में प्रधानमंत्री के पद से हटने के बाद इसमें रह रहे थे.
बीते वर्ष अगस्त में वाजपेयी के निधन के बाद उनके परिजनों ने नवंबर में इस बंगले को खाली कर दिया था. सरकार के सूत्रों ने आज इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि बतौर गृह मंत्री, शाह की सुरक्षा जरूरतों के मुताबिक इस बंगले को अगले एक महीने में तैयार कर दिया जाएगा. बंगले पर तैनात कर्मचारियों ने बताया कि शाह स्वयं बंगले का मुआयना कर जरूरत के मुताबिक मरम्मत आदि के काम का जायजा ले चुके हैं.
शाह, फिलहाल राज्यसभा सदस्य के तौर पर मिले अकबर रोड स्थित 11 नंबर बंगले में रह रहे हैं. वह 19 अगस्त 2017 में राज्यसभा सदस्य बने थे. उच्च सदन में उनका कार्यकाल 2023 तक निर्धारित था. लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में वे गांधीनगर से निर्वाचित होकर लोकसभा में पहुंचे हैं. 14 वर्षों तक रहे वाजपेयी बतौर पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी, 14 वर्ष तक इस बंगले में रहे.
पिछले वर्ष 16 अगस्त को उनके निधन के बाद, तत्कालीन मोदी सरकार ने इस बंगले को 'अटल स्मृति' के रूप में घोषित करने के कुछ भाजपा नेताओं के विचार को खारिज कर दिया था. सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि, 'राजघाट' के पास वाजपेयी के समाधि स्थल को उनकी स्मृति में 'सदैव अटल' के नाम से विकसित किया है.
उल्लेखनीय है कि 2000 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने ही राष्ट्रीय नेताओं के सरकारी आवास को उनके निधन के बाद स्मृति स्थल के रूप में घोषित करने पर रोक लगाने का फैसला किया था. इस फैसले को बरकरार रखते हुए मोदी सरकार ने अक्तूबर 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के 12, तुगलक रोड स्थित बंगले को स्मृति स्थल घोषित करने की रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह की मांग को खारिज कर दिया था.