अयोध्या विवाद: मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार पर हिंदू महासभा का इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
By विनीत कुमार | Published: March 6, 2019 11:30 AM2019-03-06T11:30:16+5:302019-03-06T12:19:13+5:30
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर मध्यस्थता को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले कोर्ट ने पिछले महीने 26 फरवरी को कहा था कि वह छह मार्च को आदेश देगा कि मामले को अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए या नहीं।
हालांकि, बुधवार को सुनवाई में मध्यस्थता पर चर्चा के दौरान सभी सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सभी पक्षों को सुना और कहा कि वे जल्द से जल्द फैसला सुनाना चाहते हैं। कोर्ट ने साथ ही मध्यस्थता पर नाम को लेकर सुझाव भी मांगे हैं।
हिंदू महासभा ने किया मध्यस्थता का विरोध
इस सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा ने खुलकर मध्यस्थता का विरोध किया। हिंदू महासभा ने कहा कि जनता मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं होगी। इस पर संविधान पीठ ने पूछा कि 'आप कह रहे है कि इस मसले पर समझौता नहीं हो सकता। आप इसे प्री-जज कैसे कर सके हैं।'
साथ ही बेंच ने यह भी कहा कि वे समझते हैं कि यह केवल जमीन का मुद्दा नहीं है बल्कि दिल और भावनाओं से भी जुड़ा है। दूसरी ओर से मुस्लिम पक्ष ने मध्यस्थता के लिए सहमति जताई और कहा कि जो भी फैसला इसके तहत होगा, वह मंजूर होगा। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से अदालत में पेश हुए वकील राजीव धवन ने साथ ही कोर्ट से कहा कि बेंच मध्यस्थता के लिए दिशानिर्देश तय करे।
अयोध्या में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद पर सुनवाई का Live अपडेट
- सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता को लेकर फैसला फिलहाल सुरक्षित रख लिया है। Supreme Court reserves order on the issue of referring Ram Janmabhoomi-Babri Masjid title dispute case to court appointed and monitored mediation for “permanent solution”. pic.twitter.com/JoC907Mgcm
— ANI (@ANI) March 6, 2019
Supreme Court reserves order on the issue of referring Ram Janmabhoomi-Babri Masjid title dispute case to court appointed and monitored mediation for “permanent solution”. pic.twitter.com/JoC907Mgcm
— ANI (@ANI) March 6, 2019- मुस्लिम पक्षकारों की ओर से इस सुनवाई में आये वकील राजीव धवन ने कहा- 'मुस्लिम पक्षकार मध्यस्थता के लिए राजी है और किसी भी समझौते पर पहुंचने के बाद उनका पक्ष उसे मामने के लिए तैयार होगा।' राजीव ने साथ ही समझौते के लिए बेंच से दिशानिर्देश तय करने की भी मांग की है।
Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case:Advocate Rajeev Dhavan,who is appearing for group of Muslim petitioners in the case,says, "Muslim petitioners are agreeable to mediation&any compromise or settlement will bind parties," asks bench to frame terms for mediation pic.twitter.com/tq3PsdUnHc
— ANI (@ANI) March 6, 2019
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा- जब मध्यस्थता जारी हो तब इस पर रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए। यह कोई कोई गैग ऑर्डर नहीं है।
- जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा- केवल एक मेडिएटर की जरूरत नहीं है बल्कि मेडिएटर्स के पैनल की जरूरत है।
- अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा- 'यह केवल भावनाओं, धर्म और विश्वास का भी मसला है। हम इस विवाद की गहराई को समझते हैं।'
- हिंदू महासभा ने कहा जनता मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं होगी।
- अयोध्या मामले की सुनवाई। पांच जजों की संविधान पीठ में हो रही है सुनवाई।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि यदि इस विवाद का आपसी सहमति के आधार पर समाधान खोजने की एक प्रतिशत भी संभावना हो तो संबंधित पक्षकारों को मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहिए।
इस विवाद का मध्यस्थता के जरिये समाधान खोजने का सुझाव पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति एस ए बोबडे ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई के दौरान दिया था। न्यायमूर्ति बोबडे ने यह सुझाव उस वक्त दिया था जब इस विवाद के दोनों हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार उप्र सरकार द्वारा अनुवाद कराने के बाद शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दाखिल दस्तावेजों की सत्यता को लेकर उलझ रहे थे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था।