नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन में हर नागरिक का स्वास्थ्य खाता, अश्विनी चौबे बोले-चिकित्सक एक क्लिक पर जान सकेंगे रोगी का मर्ज
By एसके गुप्ता | Published: August 15, 2020 06:22 PM2020-08-15T18:22:35+5:302020-08-15T18:22:35+5:30
लोगों को अस्पताल में पर्ची बनवाने की भागदौड़, अस्पताल की खिड़की पर लगने वाली लंबी लाइन, रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराने के झंझट जैसी परेशानियों से निजात मिलेगी। ऐसा नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत बनने वाले यूनिक डिजिटल हेल्थ कार्ड से संभव होगा।
नई दिल्लीः आगामी दिनों में लोगों को न केवल अपने मेडिकल रिकॉर्ड के पर्चे सहेजने के झंझट से मुक्ति मिलेगी बल्कि लोग डिजिटल हेल्थ कार्ड में दर्ज हर बात से कहीं भी सही और आसान ट्रीटमेंट पा सकेंगे।
इसके अलावा लोगों को अस्पताल में पर्ची बनवाने की भागदौड़, अस्पताल की खिड़की पर लगने वाली लंबी लाइन, रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराने के झंझट जैसी परेशानियों से निजात मिलेगी। ऐसा नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत बनने वाले यूनिक डिजिटल हेल्थ कार्ड से संभव होगा।
जिसकी घोषणा शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से 74वें स्वतंत्रता दिवस पर की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लोकमत को बताया कि सरकार ने इसके नाम, लोगो और टैगलाइन के लिए लोगों से 06 अगस्त तक सुझाव मांगे थे।
कुल 2604 लोगों ने इस विषय पर अपने सुझाव दिए हैं। इसके विजेता को 25 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा। शुरुआती दौर में योजना में हेल्थ आईडी, पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड्स, डिजिटल डॉक्टर और हेल्थ फेसिलिटी रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिलेगी। टेलीमेडिसिन और ई-फार्मेसी की सुविधाएं योजना में बाद में जुड़ेंगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्वनी चौबे ने लोकमत से बातचीत में कहा कि योजना के तहत हर नागरिक के स्वास्थ्य की जानकारी एक कार्ड में दर्ज की जाएगी। यह समझ लीजिए की यह एक तरह का हर नागरिक का स्वास्थ्य खाता होगा। जिसमें लोगों के लैब टेस्ट की रपट, हर बीमारी का जिक्र होगा।
किस चिकित्सक ने कौन सी दवा कब लिखी और क्या डायग्नोस किया इसकी जानकारी भी हेल्थ कार्ड में होगी। रोगियों का हेल्थ डाटा रखने के लिए चिकित्सक, अस्पताल और क्लीनिक एक सेंट्रल सर्वर से कनेक्ट किए जाएंगे। जिससे रोगियों को अस्पतालों में अपने इलाज के लिए मोटी फाइलें लेकर नहीं घूमना होगा।
अस्पताल और नागरिक स्वेच्छा से योजना में शामिल होंगे। जिससे रोगी की गोपनीयता बनी रहेगी। चिकित्सकों को रोगी की हेल्थ हिस्ट्री एक क्लिक पर पता चलेगी। अगर कोई दवा रोगी को नुकसान पहुंचा सकती है या उस पर गलत प्रभाव करती है तो चिकित्सक यह आसानी से समझ सकेंगे कि वह दवा रोगी को फलां उपचार में नहीं देनी है।