हरियाणा: गजब! कपालमोचन मेले के उद्घाटन से डरते हैं राजनेता, इस अंधविश्वास के पीछे की कहानी भी अजीब
By बलवंत तक्षक | Published: November 13, 2019 08:20 AM2019-11-13T08:20:05+5:302019-11-13T11:20:40+5:30
भले ही इसे अंधविश्वास करार दिया जाए, लेकिन सच यही है कि तमाम पार्टियों के राजनेता इस मेले के शुभारंभ से दूरी बनाकर चलते हैं. इनमें अब सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक भी शामिल हो गए हैं
धार्मिक कार्यक्र में में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले हरियाणा के राजनेता यमुनानगर जिले के कपालमोचन मेले का उद्घाटन करने से डरते हैं. मेले के उद्घाटन के लिए जब भी उनसे संपर्क किया जाता है, कोई न कोई बहाना बनाकर मामले को टाल देते हैं. न जाने कैसे उनकी यह धारणा बन गई है कि जो भी राजनेता कपालमोचन मेले का शुभारंभ करेगा, वह जीवन में फिर कभी कोई चुनाव नहीं जीत पाएगा.
भले ही इसे अंधविश्वास करार दिया जाए, लेकिन सच यही है कि तमाम पार्टियों के राजनेता इस मेले के शुभारंभ से दूरी बनाकर चलते हैं. इनमें अब सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक भी शामिल हो गए हैं. राज्य में इस बार यमुनानगर जिले से भाजपा के दो विधायक चुने गए हैं. इनमें जगाधरी से कंवरपाल गुर्जर और यमुनानगर से घनश्याम दास अरोड़ा शामिल हैं. यमुनानगर नगर निगम के मेयर की जिम्मेदारी भी भाजपा के मदन चौहान के पास है, लेकिन इस दफा भी इनमें से कोई कपालमोचन मेले का शुभारंभ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया.
हालांकि, पांच दिन तक चलने वाले इस मेले में लाखों लोग हिस्सा लेने के लिए दूर-दराज के इलाकों से यहां पहुंचते हैं. शाही स्नान के दौरान कपालमोचन सरोवरों में अब तक तीन लाख से ज्यादा तीर्थ यात्री डुबकी लगा चुके हैं. उत्तर भारत का प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल कपालमोचन सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है. 15 वर्षों से अफसर ही कर रहे हैं मेले का उद्घाटन पिछले पंद्रह वर्षों से मेले का उद्घाटन हरियाणा के वरिष्ठ अफसर ही करते रहे हैं.
राजनेताओं के मन में यह धारणा बन चुकी है कि जो भी राजनेता कपालमोचन मेले का उद्घाटन करेगा, उसे जीवन में फिर कभी कोई चुनाव नहीं जीत पाने का श्राप लग जाएगा. इस बार यमुनानगर के डिप्टी कमिश्नर मुकुल कुमार ने मेले का उद्घाटन किया है.