हरियाणा में दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को बचाने में लगा है पूरा गांव, जानें इसके बारे में
By बलवंत तक्षक | Published: March 3, 2021 05:42 PM2021-03-03T17:42:26+5:302021-03-03T17:43:14+5:30
सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, सिवानी और भिवानी के गांवों में जीव जंतुओं के पीने के पानी के लिए 12 पक्के तालाब बनाए जा चुके हैं.
चंडीगढ़ः दुर्लभ प्रजाति के कछुओं के संरक्षण में हरियाणा का एक पूरा गांव जुटा हुआ है. फतेहाबाद जिले के काजलहेड़ी गांव में इस समय सॉफ्ट शैल टर्टल प्रजाति के 400 से ज्यादा कछुए हैं.
गांव के जिस तालाब में यह कछुए रह रहे हैं, वहां लोग एक टापू के निर्माण में लगे हैं, ताकि उनके अंडों को संरक्षित किया जा सके. यह टापू अगले एक हफ्ते में बन कर तैयार हो जाएगा. इन कछुओं को सॉफ्ट शैल प्रजाति का इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इनकी पीठ की हड्डी एकदम लचीली दिखती है.
इस प्रजाति में दुनिया के कुछ सबसे बड़े मीठे पानी में रहने वाले कछुए शामिल हैं. इस समय गांव के तालाब के चारों तरफ तारबंदी भी करवाई जा रही है. तारबंदी के बाद कछुओं के बच्चे और उनके अंडों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा. यह कछुए तालाब से बाहर आकर मिट्टी में अंडे देते हैं.
काजलहेड़ी गांव में बने तालाब के पास काफी बंदर और अन्य जीव हैं, जो अब तक कछुओं के बच्चों और उनके अंडों को काफी नुकसान पहुंचाते रहे हैं. इसीलिए तालाब के साथ टापू बनाने का फैसला किया गया है. हिसार में वन व वन्य जीव संरक्षण विभाग के वाइल्ड लाइफ अफसर वेदप्रकाश के मुताबिक काजलहेड़ी गांव के तालाब में टापू तैयार होने के बाद कछुओं के संरक्षण और अंडों को पूरी तरह से बचाया जा सकेगा.