Haryana Election 2024: समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने की मुहिम में जुटे है. इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए उन्होंने हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने की फैसला किया था. परन्तु अब अखिलेश यादव ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार को चुनाव मैदान में ना उतारने का मन बनाया है. हालांकि अखिलेश यादव ने हरियाणा के विधानसभा चुनावों में 10 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी की थी लेकिन हरियाणा में इंडिया गठबंधन की मजबूती के लिए अखिलेश यादव ने किसी भी तरह के त्याग करने की बात कहते हुए अपनी इस मंशा को उजागर कर दिया है.
अखिलेश यादव की पोस्ट
शुक्रवार को अखिलेश यादव ने एक्स पर हरियाणा के चुनावों को लेकर के लंबी पोस्ट लिखकर अपनी मंशा को उजागर किया. इन पोस्ट में उन्होंने लिखा है, हरियाणा चुनाव में ‘इंडिया गठबंधन’ की एकजुटता नया इतिहास लिखने में सक्षम है. हमने कई बार कहा है और एक बार फिर दोहरा रहे हैं व आगे भी दोहरायेंगे कि ‘बात सीट की नहीं जीत की है’.
हरियाणा के विकास व सौहार्द की विरोधी ‘भाजपा की नकारात्मक, साम्प्रदायिक, विभाजनकारी राजनीति’ को हराने में ‘इंडिया एलायंस’ की जो भी पार्टी सक्षम होगी, हम उसके साथ अपने संगठन और समर्थकों की शक्ति को जोड़ देंगे. बात दो-चार सीटों पर प्रत्याशी उतारने की नहीं है, बात तो जनता के दुख-दर्द को समझते हुए उनको भाजपा की जोड़-तोड़ की भ्रष्टाचारी सियासत से मुक्ति दिलाने की है.
साथ ही हरियाणा के सच्चे विकास और जनता के कल्याण की है. पिछले 10 सालों में भाजपा ने हरियाणा के विकास को बीसों साल पीछे धकेल दिया है. हम मानते हैं कि हमारे या इंडिया एलायंस के किसी भी दल के लिए, ये समय अपनी राजनीतिक संभावना तलाशने का नहीं है बल्कि त्याग और बलिदान का है. जनहित के परमार्थ मार्ग पर स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं होती.
कुटिल और स्वार्थी लोग कभी भी इतिहास में अपना नाम दर्ज नहीं करा सकते हैं. ऐसे लोगों की राजनीति को हराने के लिए ये क्षण, अपने से ऊपर उठने का ऐतिहासिक अवसर है. हम हरियाणा के हित के लिए बड़े दिल से, हर त्याग-परित्याग के लिए तैयार हैं. इंडिया एलायंस की पुकार, जनहित में हो बदलाव!
इस सोच के तहत अखिलेश ने लिखी पोस्ट
अब अखिलेश की इस पोस्ट पर चर्चाएं होने लग गई. पार्टी के नेताओं का ही यह कहना है कि हरियाणा में इंडिया गठबंधन की मजबूती और भाजपा की हार को सुनिश्चित करने के लिए पार्टी अपने उम्मीदवार खड़ा करने के बजाए इडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने में जुटेगी.
इन नेताओं का यह भी कहना है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में दलित और जाट वोटों पर कब्जा करने के लिए जाट तथा दलित समाज के तीन गठबंधन चुनाव मैदान में है. इसके अलावा भाजपा के इशारे पर कई अन्य छोटे दल भी अपने-अपने उम्मीदवार खड़ा कर रहे हैं ताकि वोटों का विभाजन हो. भाजपा को इसका लाभ हो सकता है.
ऐसा हुआ तो यह सपा मुखिया अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले की हार होगी. शायद इसलिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने के बजाय इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने के लिए वहां चुनाव प्रचार करने का फैसला किया और अपने इस निर्णय का संकेत उन्होने सोशल मीडिया पर दे दिया हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इस बारे में सिर्फ यही कहा है, अखिलेश जी ने अपने मन की बात लोगों को बता दी है. इसका जो भी मतलब आप निकालना चाहे वह निकाले.