हरियाणा विधानसभा चुनाव: बेटे-बेटियों को टिकट दिलाने की फिराक में बीजेपी के कई दिग्गज नेता
By बलवंत तक्षक | Published: September 15, 2019 08:17 AM2019-09-15T08:17:21+5:302019-09-15T08:17:21+5:30
भाजपा कांग्रेस के खिलाफ परिवारवाद को मुद्दा बनाती रही है, बावजूद इसके पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने बच्चों को टिकट दिलवाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते.
हरियाणा में आने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत भाजपा के दिग्गज अपने बेटे-बेटियों को टिकट दिलाने की जुगाड़ में जुट गए हैं. लोकसभा चुनावों में जिस तरह से भाजपा को राज्य की सभी दस सीटों पर जीत मिली है, उससे पार्टी के दिग्गज नेताओं को लगता है कि टिकट मिलना ही उनके बेटे-बेटियों के विधानसभा में पहुंचने की गारंटी है. हालांकि, भाजपा कांग्रेस के खिलाफ परिवारवाद को मुद्दा बनाती रही है, बावजूद इसके पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने बच्चों को टिकट दिलवाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते.
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जहां अपनी बेटी आरती राव को अहीरवाल क्षेत्र से टिकट दिलाना चाहते हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को फरीदाबाद जिले में तिगांव क्षेत्र से चुनाव लड़ाने के इच्छुक हैं. केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया भी चाहते हैं कि उनकी पत्नी बंतो कटारिया भी चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच जाए.
भिवानी-महेंद्रगढ़ क्षेत्र के सांसद धर्मवीर अपने भाई को तोशाम हल्के से भाजपा की टिकट दिलाना चाहते हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह खुद चुनावी राजनीति से हटते हुए अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार क्षेत्र से टिकट दिलवा कर लोकसभा में पहुंचा चुके हैं, अब उनकी कोशिश अपनी पत्नी (जो उचाना हल्के से भाजपा की मौजूदा विधायक हैं) को फिर से टिकट दिलाने की इच्छा है.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से मात देने वाले भाजपा सांसद रमेश कौशिक अपने भाई देवेंद्र के लिए टिकट हासिल करने की कोशिश में हैं. कुरु क्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी अंबाला जिले की नारायणगढ़ सीट से अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. सांसद बनने से पहले सैनी खुद नारायणगढ़ क्षेत्र से विधायक थे और खट्टर सरकार में राज्य मंत्री होते थे.
भाजपा के 7 सांसद अपनों को टिकट दिलाने की कोशिश में
हरियाणा में भाजपा के दस में से सात सांसद अपने परिवार के लोगों को टिकट दिलाने की कोशिशों में हैं. अक्तूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा ने फिर से सत्ता में आने के लिए इन दिनों राज्य में महाजनसंपर्क अभियान चलाया हुआ है. इस महीने के आखिर तक टिकटों का फैसला हो जाएगा. देखना यह है कि अपने बेटे-बेटियों को भाजपा की टिकट दिलाने के लिए ताकत लगा रहे कितने सांसदों को अपनी कोशिशों में कामयाबी मिलती है?