हरियाणा विधानसभा चुनाव: बीजेपी के साथ चुनाव लड़ेगी शिरोमणि अकाली दल, 22 सितंबर को होगी कोर कमेटी की बैठक

By बलवंत तक्षक | Published: September 20, 2019 09:08 AM2019-09-20T09:08:20+5:302019-09-20T09:08:20+5:30

Haryana assembly elections 2019:हरियाणा में इससे पहले अकाली दल ने हमेशा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ मिलकर चुनाव लड़े हैं. पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की दोस्ती के चलते ऐसा होता रहा है.

Haryana assembly election 2019: Shiromani Akali Dal to contest elections with BJP, core committee meeting to be held on September 22 | हरियाणा विधानसभा चुनाव: बीजेपी के साथ चुनाव लड़ेगी शिरोमणि अकाली दल, 22 सितंबर को होगी कोर कमेटी की बैठक

हरियाणा विधानसभा चुनाव: बीजेपी के साथ चुनाव लड़ेगी शिरोमणि अकाली दल, 22 सितंबर को होगी कोर कमेटी की बैठक

Highlightsसुखबीर सिंह बादल ने सीटों के बंटवारे पर भाजपा से बातचीत के लिए भुंदड की अगुवाई में गठित की कमेटीउम्मीदवारों के चयन के लिए कुरुक्षेत्र में 22 को होगी शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) हरियाणा में भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेगा. पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने इसके लिए राज्यसभा सदस्य बलविंदर सिंह भुंदड की अगुवाई में एक पैनल बनाया है. यह पैनल टिकट वितरण के मामले में भाजपा से बातचीत करने के साथ ही चुनावी रणनीति भी तैयार करेगा. जूनियर बादल की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक के फैसले के मुताबिक 22 सितंबर को कुरु क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में टिकट के दावेदारों के इंटरव्यू लिए जाएंगी. इसके लिए अर्जियां मांगी जा चुकी हैं.

राज्य में सिख मतदाताओं की तादाद 4. 91 फीसदी है. पंजाब की सीमा से लगती हरियाणा की करीब पंद्रह सीटों पर हार-जीत के फैसले में सिख मतदाता बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं. वर्ष 2014 के चुनावों में विभिन्न पार्टियों के टिकट पर चार सिख उम्मीदवार जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. इनमें इनेलो के टिकट पर दो सिख, पेहोवा से जसविंद्र सिंह संधू व रितया से प्रो. रविंद्र सिंह बलियाला, इनेलो के समर्थन से कालांवाली से अकाली दल के बलकौर सिंह और भाजपा के टिकट पर एक सिख विधायक असंध से जीते बख्शीश सिंह विर्क शामिल हैं. कैंसर की वजह से संधू का निधन हो चुका है.

हाल के लोकसभा चुनावों में भी अकाली दल ने भाजपा को समर्थन दिया था. बातचीत के दौरान अकाली दल की कोशिश रहेगी कि राज्य की सिख बहुल ज्यादातर सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार उतारे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने कुछ दिन पहले कहा था कि विधानसभा चुनावों में भाजपा को किसी पार्टी के साथ समझौते की कोई जरूरत नहीं है. लेकिन हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व में परिवर्तन के बाद भाजपा को अकाली दल के साथ चुनावी समझौते की जरूरत महसूस हो सकती है. बदले हुए हालात में ही जूनियर बादल ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की पेशकश की है. भाजपा की तरफ से समझौते के तहत अकाली दल को कितनी सीटें दी जाएंगी और इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों के बीच सहमति बन पाएगी या नहीं, यह अभी देखना होगा.

पहले इनेलो के साथ रही साझेदारी

हरियाणा में इससे पहले अकाली दल ने हमेशा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ मिलकर चुनाव लड़े हैं. पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की दोस्ती के चलते ऐसा होता रहा है. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को सजा हो जाने और इनेलो के दो फाड़ होने के बाद अकाली दल का रु ख अब भाजपा की तरफ है. अगर टिकटों के बंटवारे को लेकर भाजपा के साथ अकाली दल की बातचीत सिरे चढ़ जाती है तो विधानसभा चुनावों में यह समझौता दोनों ही पार्टियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. पंजाब में भाजपा और अकाली दल का समझौता पिछले 42 साल से कायम है, पर हरियाणा में अकाली दल पहली बार भाजपा से चुनावी समझौता कर रहा है.

Web Title: Haryana assembly election 2019: Shiromani Akali Dal to contest elections with BJP, core committee meeting to be held on September 22

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