ठंड में ठिठुरता देख भिखारी की मदद के लिए DSP ने रोकी गाड़ी, पास जाकर देखा तो शख्स निकला उन्हीं के बैच का अधिकारी

By विनीत कुमार | Published: November 14, 2020 07:11 AM2020-11-14T07:11:42+5:302020-11-15T09:52:53+5:30

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दो पुलिस अधिकारी उस समय हैरान रह गए जब सड़क पर ठंड से ठिठुरता एक भिखारी उन्हीं के बैच का साथी निकला। मानसिक हालत खराब होने के बाद पिछले करीब 10 साल वो लापता था।

Gwalior DSP finds his own batch officer and once a marked shooter in MP Police as beggar | ठंड में ठिठुरता देख भिखारी की मदद के लिए DSP ने रोकी गाड़ी, पास जाकर देखा तो शख्स निकला उन्हीं के बैच का अधिकारी

मध्य प्रदेश: भीख मांगते साथी की हालत देखकर हैरान रह गए डीएसपी

Highlightsलावारिस हालात में घूमते और भीख मांगते मिले मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारी, ग्वालियर की घटना10 साल पहले हो गए थे लापता, मानसिक स्थिति खराब होने के बाद घर से भाग गए थे

मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कभी मध्य प्रदेश पुलिस में बेहद काबिल अधिकारी और शूटर रहे मनीष मिश्रा भिखारी के रूप में लावारिस हालात में घूमते मिले हैं। इनकी पहचान भी तब हुई जब इनके ही बैच के दो अफसर उन्हें भिखारी समझ कुछ देने जाते हैं। कहानी फिल्मी जरूर लगती है लेकिन सच जानकर सभी अवाक है। 

दरअसल, ग्वालियर में उपचुनाव की मतगणना के बाद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से जा रहे थे। दोनों अधिकारी जैसे ही बंधन वाटिका के पास से गुजरे तो उनकी नजर सड़क किनारे एक अधेड़ उम्र के भिखारी पर पड़ी। वह ठंड से ठिठुर रहा था। 

दोनों ने उसकी मदद करने का विचार किया। दोनों गाड़ी रोककर भिखारी के पास गए। रत्नेश ने अपने जूते जबकि डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट उसे दी। इसी दौरान उस भिखारी से बातचीत करते हुए दोनों उस समय हतप्रभ रह गए कि वह भिखारी दरअसल डीएसपी के बैच का ही अफसर था।

10 साल पहले लापता हो गए थे मनीष

मनीष ने साल 1999 में पुलिस की नौकरी जॉइन की थी। इसके बाद एमपी के विभिन्न थानों में थानेदार के तौर पर पदस्थ भी रहे। उन्होंने 2005 तक पुलिस की नौकरी की। इस बीच उनकी तबीयत खराब होने लगी थी। अंतिम बार में वे दतिया में बतौर थाना प्रभारी पोस्टेड थे। इस दौरान उनकी मानसिक स्थिति खराब होती चली गई। 

घरवाले उन्हें इलाज के लिए कई जगह ले गए, लेकिन एक दिन वह सभी की नजरों से बचकर भाग गए। बहुत खोजबीन के बाद भी परिवार को पता नहीं चल पाया कि मनीष कहां गए। इस बीच वह मनीष भीख मांगने लगे और इस तरह करीब दस साल गुजर गए। 

बहरहाल, मनीष के 10 साल बाद इस तरह सामने आने के बाद मनीष के दोनों पुराने साथियों ने उनसे काफी देर तक पुराने दिनों की बात करने की कोशिश की और अपने साथ ले जाने की जिद की। मनीष हालांकि साथ जाने को राजी नहीं हुए। 

इसके बाद मनीष को एक समाजसेवी संस्था में भिजवाया गया जहां उनकी देखभाल शुरू हो गई है। मनीष के पिता और चाचा एडिशनल एसपी के पद से रिटायर हुए हैं। उनके भाई थाना इंचार्ज हैं। उनकी बहन किसी दूतावास में काम करती है।

Web Title: Gwalior DSP finds his own batch officer and once a marked shooter in MP Police as beggar

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे