पथरी की जगह डॉक्टर ने निकाल दी किडनी, कुछ दिन में मरीज की मौत, अस्पताल को देना होगा 11.23 लाख रुपये हर्जाना
By विनीत कुमार | Published: October 19, 2021 11:47 AM2021-10-19T11:47:24+5:302021-10-19T12:10:26+5:30
गुजरात में डॉक्टर की लापरवाही के बाद मरीज की हुई मौत के मामले में अस्पताल को 11.23 लाख रुपये मुआवजा परिजनों को देने का आदेश कोर्ट ने सुनाया है।
अहमदाबाद: गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बालासिनोर के केएमजी जनरल अस्पताल को एक मरीज के रिश्तेदार को 11.23 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने ये आदेश डॉक्टर की एक बड़ी लापरवाही को लेकर दिया है।
दरअसलस, मरीज को अस्पताल के किडनी की पथरी हटाने के लिए भर्ती किया गया था। डॉक्टर ने लेकिन पथरी की बजाय मरीज के बाएं किडनी को ही निकाल दिया। इसके चार महीने बाद मरीज की मौत हो गई।
उपभोक्ता अदालत ने माना कि अस्पताल अपने कर्मचारी के लापरवाह रवैये के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार है। ऐसे में कोर्ट ने अस्पताल को मुआवजे के साथ उस पर साल 2012 से 7.5 प्रतिशत का ब्याज भी देने को कहा है।
सितंबर 2011 में हुआ था मरीज का ऑपरेशन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ये पूरा मामला 2011 का है। गुजरात के खेड़ा जिले के वंघरोली गांव के देवेंद्रभाई रावल ने कमर दर्द और यूरिन पास करने में दिक्कत होने पर बालासिनोर कस्बे के केएमजी जनरल अस्पताल के डॉ. शिवुभाई पटेल से सलाह ली थी।
मई 2011 में उनके बाएं गुर्दे में 14 मिमी की पथरी का पता चला था। इसके बाद रावल ने उसी अस्पताल में सर्जरी कराने का फैसला किया। 3 सितंबर 2011 को उनका ऑपरेशन किया गया था। सर्जरी के बाद परिवार को उस समय आश्चर्य हुआ जब डॉक्टर ने कहा कि पथरी के बजाय किडनी को निकालना होगा।
डॉक्टर ने कहा कि यह मरीज के लिए ठीक होगा। ऑफरेशन के बाद जब देवेंद्रभाई रावल को यूरिन पास करने में अधिक समस्या होने लगी तो उन्हें नडियाड के एक किडनी अस्पताल से इस संबंध में सलाह ली। बाद में जब उनकी हालत और बिगड़ी तो उन्हें अहमदाबाद के आईकेडीआरसी अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने 8 जनवरी, 2012 को किडनी की बीमारी के कारण दम तोड़ दिया।
पति की मौत के बाद पत्नी ने खटखटाया कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा
इसके बाद रावल की पत्नी मीनाबेन ने नडियाड में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का दरवाजा खटखटाया जिसने 2012 में चिकित्सक, अस्पताल और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को चिकित्सा लापरवाही के लिए पत्नी को 11.23 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
जिला आयोग के आदेश के बाद अस्पताल और बीमा कंपनी इस विवाद को लेकर राज्य आयोग के पास पहुंचे। इसे लेकर विवाद था कि लापरवाही के लिए मुआवजे का भुगतान किसे करना चाहिए। विवाद को सुनने के बाद राज्य आयोग ने पाया कि अस्पताल की ओर से इसमें लापरवाही की गई है।
सर्जरी सिर्फ किडनी से स्टोन निकालने के लिए थी और इसके लिए ही परिजनों से सहमति ली गई थी। हालांकि, लापरवाही के कारण किडनी ही निकाल ली गई थी। कोर्ट ने पाया कि यह डॉक्टर और अस्पताल की ओर से लापरवाही का स्पष्ट मामला है।