गुजरात :उच्च न्यायालय ने नये धर्मांतरण रोधी कानून के तहत दर्ज पहले मामले में चार लोगों को जमानत दी

By भाषा | Published: October 13, 2021 09:16 PM2021-10-13T21:16:46+5:302021-10-13T21:16:46+5:30

Gujarat: High Court grants bail to four people in the first case registered under the new anti-conversion law | गुजरात :उच्च न्यायालय ने नये धर्मांतरण रोधी कानून के तहत दर्ज पहले मामले में चार लोगों को जमानत दी

गुजरात :उच्च न्यायालय ने नये धर्मांतरण रोधी कानून के तहत दर्ज पहले मामले में चार लोगों को जमानत दी

अहमदाबाद, 13 अक्टूबर गुजरात उच्च न्यायालय ने जबरन या विवाह के जरिए धोखे से किये जाने वाले धर्मांतरण को दंडनीय बनाने वाले एक संशोधित कानून के तहत दर्ज पहले मामले में जेल में कैद चारों व्यक्तियों को अंतरिम राहत देते हुए बुधवार को जमानत दे दी।

यह मामला संशोधित गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत वड़ोदरा में दर्ज किया गया था, जो एक अंतर-धार्मिक दंपती से संबद्ध है। मुख्य आरोपी सहित चारों व्यक्तियों को अदालत ने अंतरिम राहत दी है।

याचिका संयुक्त रूप से आरोपियों और शिकायतकर्ता- मुख्य आरोपी की पत्नी ने दायर की है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि पूरे प्रकरण में कोई सांप्रदायिक पहलू नहीं है और उन्होंने प्राथमिकी का कारण रहे विवाद को सुलझा लिया है।

महिला के अधिवक्ता हीतेश गुप्ता ने बताया कि न्यायमूर्ति इलेश जे वोरा ने एक और आरोपी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया और कहा कि इस मामले में पुलिस अपनी जांच जारी रख सकती है, वह अदालत को सूचित किये बगैर आरोपी(महिला) के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकती है।

गिरफ्तारी से जिस आरोपी को संरक्षण दिया गया है, उस पर युवक-युवती (दंपती) का विवाह कराने में मदद करने की साजिश रचने और महिला को गर्भपात कराने की सलाह देने का आरोप है।

गुप्ता ने कहा, ‘‘जो आरोपी अब भी जेल में हैं, अदालत ने उन्हें उनकी याचिका रद्द होने का अंतिम निर्णय होने तक अंतरिम उपाय के तौर पर रिहा करने का आदेश दिया।’’

प्राथमिकी में नामजद आठ लोगों में तीन अन्य आरोपियों को पिछले महीने निचली अदालत ने जमानत दी थी।

मुख्य आरोपी समीर कुरैशी की पत्नी ने अपनी याचिका में अदालत को बताया कि वड़ोदरा के गोत्री पुलिस थाने में उनकी शिकायत मामूली घरेलू पारिवारिक विवाद को लेकर थी, जिसे सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया।

कुरैशी के माता-पिता, बहनें, चाचा, चचेरे भाई और एक धर्मगुरु पूरे प्रकरण के केंद्र में थे तथा 15 जून से लागू हुए संशोधित कानून के तहत दर्ज प्राथमिकी में उनके नाम हैं।

शिकायतकर्ता महिला ने अदालत से कहा था कि ‘‘लव जिहाद’’ का पहलू कुछ खास धार्मिक-राजनीतिक समूहों ने प्राथमिकी में जुड़वाया था, जो मुद्दे को राजनीतिक रंग देना चाहते थे।

महिला ने पुलिस की कार्रवाई को सांप्रदयिक पूर्वाग्रह वाला करार देते हुए कहा था कि यदि प्राथमिकी रद्द करने की उसकी याचिका स्वीकार नहीं की जाती है तो इससे उसके पति के साथ उसका वैवाहिक संबंध टूट जाएगा।

अदालत ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि वह प्राथमिकी रद्द करने की उनकी याचिका पर तभी फैसला करेगी जब यह मालूम चलेगा कि उनकी सुलह वास्तविक थी और उसके बाद शादीशुदा दंपती एक खास अवधि तक साथ रहे थे।

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Web Title: Gujarat: High Court grants bail to four people in the first case registered under the new anti-conversion law

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