गुजरात चुनाव: दो ध्रुवीय रही प्रदेश की राजनीति में त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला, सभी की निगाहें अरविंद केजरीवाल की ‘आप’ पर

By भाषा | Published: November 3, 2022 04:14 PM2022-11-03T16:14:06+5:302022-11-03T16:39:36+5:30

आप गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ विपक्षी दल कांग्रेस को भी चुनौती दे रही है जो भले ही प्रदेश में अपनी जमीन खो चुकी है लेकिन तब भी उसकी प्रभावी उपस्थिति है।

Gujarat elections 2022 Triangular election contest in bjp congress polar state politics all eyes are on AAP | गुजरात चुनाव: दो ध्रुवीय रही प्रदेश की राजनीति में त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला, सभी की निगाहें अरविंद केजरीवाल की ‘आप’ पर

गुजरात चुनाव: दो ध्रुवीय रही प्रदेश की राजनीति में त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला, सभी की निगाहें अरविंद केजरीवाल की ‘आप’ पर

Highlightsगुजरात की 182-सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा। गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में 27 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए और 13 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं

अहमदाबादः  गुजरात का चुनावी परिदृश्य लंबे समय से दो ध्रुवीय रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी यहां के चुनावी मैदान में हाथ आजमा रही है। आप यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ विपक्षी दल कांग्रेस को भी चुनौती दे रही है जो भले ही प्रदेश में अपनी जमीन खो चुकी है लेकिन तब भी उसकी प्रभावी उपस्थिति है। गुजरात की 182-सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा। निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को चुनावी तारीखों की घोषणा कर दी। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब कुछ दिन पहले ही राज्य के मोरबी में पुल हादसा हुआ, जिसमें 135 लोगों की जान चली गई।

मोरबी हादसे की गूंज चुनावों में भी दिख सकती है

पिछले महीने की 30 तारीख को हुई इस त्रासदी की भावनात्मक गूंज चुनावों में भी दिख सकती है। इस चुनाव के केंद्र में सत्ताधारी भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा हिन्दुत्व, ‘डबल इंजन’ की सरकार और सरकार में बने रहने की निरंतरता के अलावा मुफ्त चुनावी सौगात और कल्याणकारी योजनाओं के बीच चल रही बहस के होने के आसार हैं। पिछले कुछ सप्ताह से भाजपा और आप के बीच मुफ्त चुनावी सौगात और कल्याणवाद को लेकर जुबानी जंग चल रही है। चुनावों की तारीखों की घोषणा भले आज की गई हो लेकिन गुजरात में त्रिकोणीय चुनाव होने को लेकर पिछले कुछ समय से चर्चा जोरों पर है।

सबकी निगाहें आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं पर टिकी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई केंद्रीय मंत्री पिछले कुछ समय से लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री स्वयं एक नवंबर को मोरबी में थे और उन्होंने पुल हादसे से पैदा हुई स्थिति की समीक्षा की। फिलहाल, सबकी निगाहें आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ उनकी पार्टी के नेताओं पर टिकी हैं, जिन्होंने दशकों तक दो ध्रुवीय रहे राज्य में मतदाताओं को तीसरा विकल्प देते हुए जोर-शोर से प्रवेश किया है। इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उसने लगातार छह चुनावी जीत दर्ज करते हुए इस राज्य में पिछले 27 सालों से शासन किया है। आप के लिए भी यह चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे उम्मीद है कि इस राज्य में यदि उसने चुनाव जीत लिया तो उसके राष्ट्रव्यापी अभियान को इससे बहुत बल मिलेगा।

कांग्रेस की कोशिश सत्ता में वापसी की है

कांग्रेस की कोशिश पिछले 27 सालों से विपक्ष की अपनी भूमिका का समाप्त कर सत्ता में वापसी की है। लेकिन अभी तक पार्टी के शीर्ष नेताओं की राज्य में कोई गौर करने वाली सक्रियता नहीं दिखी है। हालांकि प्रदेश स्तर के नेता जरूर जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में 27 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए और 13 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वर्तमान विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की कुल संख्या 111 है जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 62 है। विधानसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक और भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो सदस्य हैं। एक निर्दलीय विधायक भी है जबकि पांच सीटें इस वक्त रिक्त हैं।

बहरहाल, चुनाव की घोषणा से बहुत पहले ही विभिन्न दलों के नेताओं का गुजरात पहुंचने का सिलसिला आरंभ हो गया है। पार्टियां ना सिर्फ अपनी रणनीति बना रही हैं बल्कि गुजरात के शहरों और गांवों को उन्होंने विज्ञापन, बैनर और पोस्टरों से पाट दिया है। प्रधानमंत्री मोदी भाजपा के स्टार प्रचारक हैं और हाल के दिनों में उनके गुजरात दौरे में भी वृद्धि देखी गई है। उन्होंने राज्य के विभिन्न इलाकों में कई रैलियों को भी संबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने हजारों करोड़ों रूपये की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा की ओर से आयोजित कुछ रैलियों को भी संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधनों में अक्सर गुजरात के विकास की चर्चा की और ‘‘डबल इंजन’’ सरकार की वकालत करते हुए ‘‘नरेन्द्र-भूपेंद्र’’ की जोड़ी को आगे भी काम करने का मौका देने की गुजारिश की।

आप लुभावनी चुनावी घोषणाओं पर भरोसा कर रही है

केंद्र के साथ राज्य में भी एक ही दल के शासन को भाजपा ‘‘डबल इंजन’’ की सरकार कहती है। भाजपा की ओर से राज्य में निकाली गई गुजरात गौरव यात्रा में बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इसकी शुरुआत भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी। आम आदमी पार्टी ने हालांकि गुजरात में देर से प्रवेश किया लेकिन अपने आक्रामक चुनाव प्रचार और लोकलुभावन चुनाव पूर्व घोषणाओं से सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। आप लुभावनी चुनावी घोषणाओं पर भरोसा कर रही है। चूंकि उसे पता है कि वह प्रदेश की राजनीति में नयी है, इसलिए मतदाताओं को लुभाने के लिए वह लोगों के दैनिक जीवन से जुड़े मुद्दों पर जोर दे रही है। आप संयोजक केजरीवाल अपनी पार्टी के चुनाव अभियान की कमान संभाले हुए हैं। वह लगातार रैलियां कर रहे हैं और छोटी-छोटी बैठकें कर रहे हैं।

उम्मीदवारों की घोषणा के मामले में आप ने सभी दलों को पीछे छोड़ दिया

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के नेता राघव चड्ढा भी चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंक रहे हैं। आप ने तो भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले काफी पहले ही चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत कर दी थी। उम्मीदवारों की घोषणा के मामले में भी 10 वर्ष पुरानी पार्टी ने सभी दलों को पीछे छोड़ दिया। कांग्रेस फिलहाल शांत दिख रही है और लगभग चुनावी दौड़ से गायब नजर आ रही है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ों यात्रा में मशगूल हैं और वह अभी तक गुजरात के चुनावी परिदृश्य से नदारद रहे हैं। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि वह गुजरात में चुनाव प्रचार करेंगे भी या नहीं। उन्होंने पिछली बार पांच सितंबर को अहमदाबाद में पार्टी की एक रैली को संबोधित किया था।

असदुद्दीन औवैसी ने कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है

लोकसभा सांसद व ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन औवैसी ने कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है। कांग्रेस ने गुजरात में 1962, 1967 और 1972 में पहले तीन विधानसभा चुनाव जीते थे। 1975 में आपातकाल लागू होने के बाद लड़े गए चुनावों में, उसे मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाले दलों के गठबंधन, जनसंघ और बागी कांग्रेस नेता चिमनभाई पटेल के नेतृव वाली किसान मजदूर पार्टी से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने इसके बाद 1980 और 1985 के चुनाव जीते। साल 1990 के चुनाव में जनता दल और भाजपा एक मजबूत ताकत के रूप में उभरे। साल 1995 के बाद हुए सभी चुनावों में भाजपा ने जीत दर्ज की है। 

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