लॉकडाउन के बाद क्या होगा, गृह मंत्रालय ने जारी कर दी पूरी गाइडलाइन, जानें कहां मिलने वाली है राहत
By गुणातीत ओझा | Published: May 10, 2020 10:51 AM2020-05-10T10:51:15+5:302020-05-10T11:29:11+5:30
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते तेजी से गिर रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने की की कोशिश में हैं। तीसरे चरण का लॉकडाउन 17 मई को खत्म हो रहा है। 17 मई के बाद लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जाएगी या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है।
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते तेजी से गिर रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने की की कोशिश में हैं। तीसरे चरण का लॉकडाउन 17 मई को खत्म हो रहा है। 17 मई के बाद लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जाएगी या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। यह तय हैं कि 17 मई के बाद मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज काम करने लगेंगी। गृह मंत्रालय ने इस बारे में आज रविवार को गाइडलाइंस जारी की हैं। मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी करते हुए कहा है कि मैन्यूफैक्चरिंग यूनिटें दोबारा शुरुआत करते समय सभी सुरक्षा और प्रोटोकॉल सुनिश्चित करें, लाभ के होड़ में तेजी से प्रोडक्शन का प्रयास न करें। मंत्रालय ने कहा कि इसे ट्रायल रन तरह मानें, पहले सप्ताह के आंकलन के बाद आगे की योजना तैयार की जाएगी। गृह मंत्रालय ने अलग-अलग फैक्ट्रियों के लिए जारी गाइडलाइंस में सुरक्षा से जुड़े कई दिशा निर्देश तय किए हैं।
जानें गाइडलाइं से जुड़ी जरूरी बातें...
-फैक्ट्रियों में काम शुरू करने से पहले स्टोरेज की बारी से जांच हो। लॉकडाउन के दौरान कहीं लीकेज ना हुआ हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
-किसी तरह की दुर्गंध की जांच की जाए। पूरी बिल्डिंग को चेक किया जाए, कहीं किसी तरह का नुकसान ना हुआ हो।
-पूरी यूनिट का सुरक्षा ऑडिट आवश्यक है। पाइपलाइंस, इक्विपमेंट्स और डिस्चार्ज लाइंस की सफाई के बाद ही काम शुरू किया जाए।
-मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स को टाइटनेस टेस्ट, सर्विस टेस्ट, वैक्यूम होल्ड टेस्ट से गुजरना होगा।
-प्रोडक्शन शुरू करने से पहले ट्रायल रन किया जाए।
इंडस्ट्रियल वर्कर्स के लिए ये गाइडलाइंस
-फैक्ट्री में हर वक्त सैनिटाइजेशन की व्यवस्था हो। हर दो-तीन घंटे में सैनिटाइजेशन किया जाए।
-काम पर आने वाले हर कर्मचारी का दिन में दो बार टेम्प्रेचर चेक किया जाए। लक्षण दिखने पर कर्मचारी को घर भेज दिया जाए।
-हैंड सैनिटाइजर्स, मास्क और ग्लव्स का इंतजाम हो।
-कर्मचारियों को संक्रमण के प्रति जागरूक किया जाए।
-शिफ्ट्स में माल की डिलीवरी हो।
-फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए।
-चौबीसों घंटे काम करने वाली फैक्ट्रियां शिफ्ट्स के बीच में एक घंटे का समय दें।
-टूल्स और वर्कस्टेशंस की शेयरिंग किसी कीमत पर ना हो।
-अगर जरूरत पड़ी तो फैक्ट्रीज के पास वर्कर्स को आइसोलेट करने की सुविधा होनी चाहिए।