तेलंगाना से कोलकाता निकले मजदूर 3 दिन में बदल चुके हैं 12 गाड़ियां, पढ़िए प्रवासी मजदूरों के दर्द भरे किस्से

By अजीत कुमार सिंह | Published: May 30, 2020 05:48 PM2020-05-30T17:48:48+5:302020-05-30T18:01:50+5:30

देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश की बात करें दूसरे प्रदेशों से ट्रेनों व बसों के जरिये आए 27 लाख से अधिक कामगार वापस लौट चुके हैं. ये तो सरकारी दावे हैं लेकिन ट्रकों पर सवार इन मजदूरों की ज़िदगी तब भी मुश्किल थी और फिलहाल ये सफर भी.

Group of migrant workers travelling in trucks says, "It's been 3 days I left, so far I have changed 10-12 vehicles." | तेलंगाना से कोलकाता निकले मजदूर 3 दिन में बदल चुके हैं 12 गाड़ियां, पढ़िए प्रवासी मजदूरों के दर्द भरे किस्से

तेलंगाना से कोलकाता के सफर पर निकले प्रवासी मज़दूर 12 गाड़ियां बदल चुके हैं. Photo-ANI

Highlightsकोरोना संकट के चलते लॉकडाउन में मजदूरों का बुरा हाल है ओडिशा के कटक में नेशनल हाइवे 16 पर ट्रैक्टर ले जा रहे ट्रेलर पर टैक्टर लदे

कोलकाता: हाईवे पर जा रहे की ट्रकों पर कंटेननर लदे हैं. ट्रकों के पीछे जो थोड़ी सी जगह बची है, उसी जगह में 6 प्रवासी मजदूर सवार हैं. ऐसे ही एक दूसरे ट्रक में सामान लदा है, सामान तो अच्छी तरह ढका है लेकिन उसी के ऊपर जहां भी जगह मिली 10 मजदूरों ने अपने घर वापसी का सफर शुरू कर दिया.

हाईवे से गुजरने वाले ज्यादातर ट्रकों पर प्रवासी मजदूर सवार मिल जायेंगे. चेहरे अलग होंगे लेकिन कहानी एक ही है, मकसद एक ही है बस किसी तरह घर जाना है. जहान पहले ही गवां चुके ये मज़दूर अब जान की बाजी पर लगाकर घर वापसी के सफर पर निकल पड़े हैं.  

ट्रकों पर इन्हीं में से एक प्रवासी मज़दूर ने बताया "मैं तेलंगाना से आ रहा हूं और कलकत्ता जाना है. मुझे निकले हुए 3 दिन हो गए हैं, अब तक 10-12 गाड़ी बदल चुका हूं." 3 दिन ट्रक पर खुले में सफर करते करते बुरा हाल हो गया है लेकिन कैमरे देख कर उसकी खातिर ही सही मुस्कुरा देते हैं. 

ओडिशा के कटक में नेशनल हाइवे 16 पर ट्रैक्टर ले जा रहे ट्रेलर पर टैक्टर लदे हैं. इंसानों के बैठने की बिल्कुल जगह नहीं हैं लेकिन घर जाने के लिए मजबूर 200 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को फिलहाल यहीं एक रास्ता सूझा है. अब इसी पर सवार होकर अपने घर निकल पड़े हैं. कुछ मज़दूर ट्रेलर पर लदे टैक्टर पर जैसे-तैसे बैठ गये लेकिन जिन्हें जगह नहीं मिली वो ट्रैक्टर के नीचे लेट कर जाने को लाचार हैं.

रांची जा रहे एक मजदूर ने बताया  "मैं बंगलुरू से आ रहा हूं. मैं जिस कंपनी में काम करता था वो पिछले दो महीने से बंद हैं. ऐसे सफर करना खतरनाक हो सकता है लेकिन क्या करें, घर जाना है. ये ट्रक वाले हमें बिना पैसों के ले जाने के लिए तैयार हो गया और खाना हमें रास्ते में मिल जाता है."

इसी ट्रक पर सफर कर रहे दूसरे मजदूर ने कहा "हम लोग महाराष्ट्र में एक होटल में काम करते थे. लॉकडाउन की वजह से हमारी हालत खराब हो गयी. हमें खाने को कुछ नहीं मिला तो हम पानी पीकर ज़िदा रहे. ये ट्रक वाला हमसे पैसे नहीं मांग रहा है." मजदूरों की ये हालत तब है जब रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही हैं, इसके बावजूद देश भर से प्रवासी मज़दूर बस और ट्रक से अपने गृह राज्य वापस जा रहे हैं. 

देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश की बात करें दूसरे प्रदेशों से ट्रेनों व बसों के जरिये आए 27 लाख से अधिक कामगार वापस लौट चुके हैं. ये तो सरकारी दावे हैं लेकिन ट्रकों पर सवार इन मजदूरों की ज़िदगी तब भी मुश्किल थी और फिलहाल ये सफर भी.


 

Web Title: Group of migrant workers travelling in trucks says, "It's been 3 days I left, so far I have changed 10-12 vehicles."

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