सरकार ने कश्मीर में राजनीतिक और आर्थिक माहौल सुधारने के लिए त्रिस्तरीय फार्मूले पर काम शुरू किया

By भाषा | Published: July 3, 2019 03:39 PM2019-07-03T15:39:32+5:302019-07-03T15:39:32+5:30

जून के अंतिम सप्ताह में राज्य के दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठकों में मौजूद रहे कुछ शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्री ने प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ाई से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं और राज्य में जल्द ही हर स्तर पर आमूल-चूल बदलाव देखने को मिल सकता है।

Government launches work on three-tier formula to improve political and economic environment in Kashmir. | सरकार ने कश्मीर में राजनीतिक और आर्थिक माहौल सुधारने के लिए त्रिस्तरीय फार्मूले पर काम शुरू किया

लोगों का भरोसा जल्द से जल्द कायम करना, आतंकवादियों एवं अलगाववादियों को अलग-थलग करना और राजनीतिक स्तर पर सबसे निचले पायदान, पंचायत को अधिक से अधिक मजबूत बनाने की है।

Highlightsशीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब आतंकवादी संगठनों में स्थानीय भर्तियों का सिलसिला कम हुआ है।अधिकारियों का मानना है कि राष्ट्रपति शासन का सबसे बड़ा फायदा सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के तौर पर सामने आया है।

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने और बढ़ाने को संसद की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में राजनीतिक और आर्थिक माहौल सुधारने के लिए त्रिस्तरीय फार्मूले पर काम शुरू कर दिया है।

केंद्र की प्राथमिकता प्रशासनिक व्यवस्था में लोगों का भरोसा जल्द से जल्द कायम करना, आतंकवादियों एवं अलगाववादियों को अलग-थलग करना और राजनीतिक स्तर पर सबसे निचले पायदान, पंचायत को अधिक से अधिक मजबूत बनाने की है।

जून के अंतिम सप्ताह में राज्य के दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठकों में मौजूद रहे कुछ शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्री ने प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ाई से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं और राज्य में जल्द ही हर स्तर पर आमूल-चूल बदलाव देखने को मिल सकता है।

शाह ने 26-27 जून को राज्य का दौरा किया था। प्रशासन एवं सुरक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार, राज्य के लिए केंद्र की नयी सरकार की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को जवाबदेह बनाने की प्रक्रिया में तेजी लायी जा रही है, अनावश्यक विभाग खत्म किए जा रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे जनता से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी, पिछले महीने संपन्न अपनी तरह के पहले कार्यक्रम ‘बैक टू विलेज’ की सफलता को प्रशासन में लोगों के भरोसे से जोड़ कर देख रहे हैं। सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, जम्मू कश्मीर पुलिस और सीमा सुरक्षा बल के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक लोगों के मन से आतंक का डर निकालने में काफी हद तक उन्हें सफलता मिल रही है।

सुरक्षा बलों के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब आतंकवादी संगठनों में स्थानीय भर्तियों का सिलसिला कम हुआ है और उनकी संख्या बढ़ने के बजाय कम हो रही है।’’ उन्होंने दावा किया कि आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण कश्मीर में सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की ओर से चलाए जा रहे अभियान का सकारात्मक असर हुआ है।

इस अभियान के तहत कुछ गांवों से गायब 26 युवाओं को, जिनके बारे में माना जा रहा था कि ये सभी आतंकवादी संगठनों से जुड़ गए हैं, सुरक्षा बलों ने तलाश कर वापस उनके परिवार को सौंपा। अधिकारी ने बताया कि ऐसा भी पहली बार हुआ है जब केन्द्रीय गृह मंत्री की यात्रा के दौरान घाटी में कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई और ना ही अलगाववादी एवं आतंकवादी संगठनों ने बंद का आह्वान किया।

अधिकारियों का मानना है कि राष्ट्रपति शासन का सबसे बड़ा फायदा सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के तौर पर सामने आया है। गौरतलब है कि जून 2018 में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन वापस लेने और महबूबा मुफ्ती सरकार गिरने के बाद जम्मू-कश्मीर में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया गया था।

लेकिन जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 96 के अनुसार राज्य में राज्यपाल शासन की अवधि छह महीने से ज्यादा नहीं हो सकती है, ऐसे में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार का प्रयोग कर 20 दिसंबर, 2018 को वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

पिछले सप्ताह लोकसभा ने और इस सप्ताह राज्यसभा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन और छह महीने के लिए बढ़ाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए आतंकवादियों की संख्या 267 थी और इस वर्ष जून तक सुरक्षा बलों ने 122 आतंकवादियों को मार गिराया है।

अधिकारियों ने दावा किया कि राज्य में जैश ए मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन लगभग नेतृत्वहीन हैं और अल बदर पूरी तरह खत्म होने की कगार पर है। सूत्रों ने कहा, सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरस्त करने के अलावा केंद्र ने अधिकारियों को पंचायत स्तर पर विकास कार्यों को तरजीह देने का निर्देश दिया है।

प्रशासन में एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि संसद में बजट पारित होने के बाद पंचायतों को करीब चार हजार करोड़ रुपए मिलने हैं। इससे स्थानीय स्तर पर विकास की नयी संभावनाओं को मजबूती मिलेगी। राज्य के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी मान रहे हैं कि नयी दिल्ली में नयी सरकार के गठन के बाद प्रशासनिक अमले के साथ अलग-अलग राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों का नजरिया बदला है जिससे प्रशासन में हर स्तर पर कामकाज के तरीके में बदलाव के साथ आम जनता से सहयोग मिलने की संभावनाएं मजबूत हुई हैं। 

Web Title: Government launches work on three-tier formula to improve political and economic environment in Kashmir.

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