रक्षा खरीद से जुड़ी छह कंपनियां 'ब्लैकलिस्ट', सरकार कर रही है समीक्षा
By भाषा | Published: August 6, 2018 10:19 PM2018-08-06T22:19:08+5:302018-08-06T22:19:08+5:30
रक्षा खरीद से जुड़ी छह कंपनियों को कालीसूची में डाल कर सरकार कर रही है समीक्षा
नई दिल्ली, 6 अगस्तः रक्षा खरीद प्रक्रिया संबंधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने वाली छह कंपनियों को सरकार ने कालीसूची में डालकर इसकी समीक्षा शुरु कर दी है। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कंपनियों के साथ रक्षा खरीद कारोबार से खुद को अलग करते हुये 14 अन्य कंपनियों को निलंबित सूची में डाल दिया है।
भामरे ने कहा कि रक्षा खरीद में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये 2016 में 20 करोड़ रुपये और इससे अधिक की सभी पूंजीगत खरीद योजनाओं के लिये सरकार और बोलीकर्ताओं के बीच एक सत्यनिष्ठा समझौते पर हस्ताक्षर करने की परिकल्पना की है। इससे पहले केवल 100 करोड़ रुपये और इससे अधिक के मामलों में ही इस प्रकार के समझौते पर हस्ताक्षर करने का प्रावधान था। उन्होंने बताया कि दो अन्य कंपनियों को प्रतिबंधित खरीद सूची में डाला गया है।
भामरे ने बताया कि मंत्रालय ने इस बारे में दिशानिर्देशों के जरिये कालीसूची में डाले जाने की प्रक्रिया तय कर दी है। कालीसूची में डाली गयी सूची में मैसर्स सिंगापुर टेक्नालॉजीज काइनेटिक्स लि., मैसर्स इजराइल मिलिट्रीज इंडस्ट्रीज लि., मैसर्स टी एस किसन एंड कंपनी प्रा. लि. दिल्ली, मैसर्स आर के मशीन्स टूल्स लिमिटेड लुधियाना, मैसर्स रेनमेटल एयर डिफेंस ज्यूरिक और मैसर्स कार्पोरेशन डिफेंस रूस शामिल है।
इस बीच भामरे ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि सेना ने देश भर में मौजूद छावनी क्षेत्र को ‘सैन्य अड्डा’ में तब्दील करने का प्रस्ताव है। उन्होंने आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से बताया कि इस समय 19 राज्यों में 1.57 लाख एकड़ क्षेत्रफल में 62 छावनी क्षेत्र कार्यरत हैं। छावनी क्षेत्रों में लगभग 21 लाख लोग रहते हैं। भामरे ने कहा कि सेना ने छावनी क्षेत्र में असैन्य (सिविल) क्षेत्रों को अलग करने के लिये इन्हें सैन्य अड्डे में तब्दील करने का सुझाव दिया है।
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