गढ़चिरोली के आदिवासियों को 'ताकतवर चावल' खिलाएगी सरकार, ऐसे होता है तैयार

By एसके गुप्ता | Published: June 19, 2019 08:13 AM2019-06-19T08:13:35+5:302019-06-19T08:13:35+5:30

तीन साल तक चलने वाली इस योजना के खर्च पर पूर्वोत्तर, पहाड़ी राज्यों और द्बीपों पर होने वाले व्यय में केंद्र 90 फीसदी और राज्य 10 फीसदी हिस्सा देंगे।

Government feed powerfull rice tribals of Gadchiroli | गढ़चिरोली के आदिवासियों को 'ताकतवर चावल' खिलाएगी सरकार, ऐसे होता है तैयार

प्रतीकात्मक फोटो

18 जून केंद्र सरकार गढ़चिरोली समेत देश के 15 सर्वाधिक पिछड़े और कुपोषण के शिकार जिलों में 'ताकतवर चावल' का वितरण कर वहां से कुपोषण को खत्म करेगी। चावल में आयरन, जिंक और विटामिन मिलाकर राशन की दुकानों पर वितरित की जाएगी। इस योजना के लिए सरकार ने 147।61 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।

गढ़चिरोली के आदिवासियों को योजना के ट्रायल के लिए चुना गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित दर की दुकानों पर राशन के साथ ताकतवाला चावल सितंबर में मिलना शुरू हो जाएगा। 

तीन साल तक चलने वाली इस योजना के खर्च पर पूर्वोत्तर, पहाड़ी राज्यों और द्बीपों पर होने वाले व्यय में केंद्र 90 फीसदी और राज्य 10 फीसदी हिस्सा देंगे। अन्य राज्यों में योजना पर खर्च होने वाली धनराशि में केंद्र 75 फीसदी और राज्य 25 फीसदी योगदान देंगे। 

केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'लोकमत समाचार' से कहा कि केंद्र ने 15 राज्यों से एक-एक सर्वाधिक पिछड़े जिले का नाम मांगा था। राज्यों ने गढ़चिरोली के अलावा गुजरात के नर्मदा जिला, उत्तर प्रदेश के चंदौली, तमिलनाडु के त्रिची, केरल के एर्नाकुलम, कर्नाटक के यदगिर या रायचुर जिला, असम के बोनगईगोन और आंध्र प्रदेश के वेस्ट गोदावरी जिले के नाम फाइनल कर भेजे हैं। 

केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से योजना के तैयार ड्राफ्ट में कहा गया है कि देश में 6 महीने से 5 साल तक की उम्र के 58।5 फीसदी बच्चे कुपोषण के कारण एनीमिया रोग के शिकार हैं। 15 से 49 साल की उम्र वाली 53 फीसदी महिलाएं और 22।7 फीसदी पुरुष एनीमिया से पीडि़त हैं। ये लोग गरीबी के कारण पूरी खुराक नहीं ले पाते हैं। पिछड़े जिलों में ताकतवर चावल के वितरण से 50 से 70 फीसदी महिलाओं और पुरुषों में कुपोषण दूर की जा सकेगी। 

ऐसे होता है तैयार 
चावल में आयरन, कैल्शियम, जिंक और विटामिन मिलाकर उसे मशीन में डाला जाता है, जिससे पौष्टिक आटा तैयार हो जाता है। इस पौष्टिक आटे को दोबारा चावल बनाने की मशीन में डालकर ताकतवर (फोर्टिफाइड) चावल तैयार किया जाता है। इसके अलावा सामान्य चावल पर पौष्टिक तत्वों के रसायन का छिड़काव कर उसे पौष्टिक बनाया जाता है। एक किलो ताकतवर चावल तैयार करने में 60 पैसे की लागत आती है। 

दो मंत्रालयों ने भी मांगा 
केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मिड-डे-मिल योजना के तहत फोर्टिफाइड चावल आपूर्ति की मांग की है। इससे स्कूली बच्चों की खुराक में पौष्टिकता बढ़ेगी। स्कूली शिक्षा विभाग इसे तैयार करने में लगने वाली लागत खुद उठाने को तैयार है। वहीं, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भी खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय से एकीकृत बाल विकास योजना के तहत फोर्टिफाइड चावल आपूर्ति करने की मांग की है।

Web Title: Government feed powerfull rice tribals of Gadchiroli

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