रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी! फरवरी 2019 से शुरू होगा मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री प्रोजेक्ट
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 10, 2018 02:21 PM2018-12-10T14:21:01+5:302018-12-10T14:21:01+5:30
इसके अब आगामी फरवरी अंत तक साकार होने की संभावना आधिकारिक सूत्र जता रहे हैं. जबकि, पूर्व में रेल प्रशासन ने प्रोजेक्ट का काम नवंबर अंत तक पूरा होने का दावा किया था.
एसी कोच के यात्रियों को साफ-सुथरी चादर, टॉवेल, तकिये की खोल मुहैया कराने के इरादे से मध्य रेलवे, नागपुर मंडल की ओर से अजनी में 57 करोड़ रुपए की लागत से निर्माणाधीन मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री प्रोजेक्ट का काम अब बैंकिंग अनिवार्यताओं के चलते अटक गया है.
इसके अब आगामी फरवरी अंत तक साकार होने की संभावना आधिकारिक सूत्र जता रहे हैं. जबकि, पूर्व में रेल प्रशासन ने प्रोजेक्ट का काम नवंबर अंत तक पूरा होने का दावा किया था. अजनी रेल परिसर के स्टेडियम के पास लगभग 1500 वर्ग मीटर की जगह पर मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री का निर्माण कार्य जारी है.
वर्तमान में यहां सिविल वर्क जारी है. जबकि, धुलाई संबंधित 8 टन क्षमता की इम्पोर्टेड मशीनें बेल्जियम से मंगाई जा रही हैं. इसके लिए ठेकेदार हैदराबाद की सुप्रीम लॉन्ड्री से बैंक से ‘लेटर आॅफ क्रेडिट’ मांगा गया है. इस प्रक्रिया में देरी होने से मशीनों के बेल्जियम से नागपुर आने में विलंब हो रहा है.
परिणामस्वरूप सिविल वर्क और मशीनों के इन्स्टॉलेशन वर्क के पूरा होने में फरवरी तक का समय लग सकता है.
ज्ञात हो कि तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने वर्ष 2011-12 के रेल बजट में नागपुर, भोपाल, चंडीगढ़ आदि में मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री यूनिट लगाने की घोषणा की थी.
इसके तहत ‘बिल्ड ओन आॅपरेट एंड ट्रांसफर’ (बूट) मॉडल के तहत ठेकेदार हैदराबाद की सुप्रीम लॉन्ड्री को लॉन्ड्री यूनिट को ठेका दिया गया है. यह ठेका दस साल के लिए है. इसके बाद यूनिट रेलवे को हस्तांतरित की जाएगी.
बॉक्सक्या कुछ होगा मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री में मेकेनाइज्ड लॉन्ड्री यूनिट में वॉशिंग मशीन की तर्ज पर बड़ी-सी मशीनें लगाई जाएंगी.
इसमें चादर, टॉवेल, तकियों की खोल की धुलाई होगी. इसके बाद उन्हें मशीन में निचोड़ा जाएगा. फिर ड्रायर में सुखाकर उनकी घड़ी की जाएगी. धुली चादर, तौलिये और तकियों की खोल शुरुआत में मध्य रेलवे, नागपुर मंडल की ट्रेनों में उपलब्ध कराई जाएगी. इसके बाद मध्य रेलवे मुख्यालय से मंजूरी मिलने पर अन्य पासिंग ट्रेनों में भी इन्हें मुहैया कराया जा सकता है.